
Akshay/Deepak
Ranchi: 113 घोषणाएं और 150 दिन. किसी भी सूरत में चुनाव से पहले राज्य की रघुवर सरकार इन घोषणओं को पूरा करना चाहेगी. इसके लिए सीएम की तरफ से विभागों को रेस किया जा चुका है. सीएस की अध्य़क्षता में सभी विभागों के सचिवों को एक टारगेट भी दे दिया गया है. ब्यूरोक्रेट्स के साथ इसे नाइंसाफी ही कह सकते हैं, क्योंकि काम के लिए न ही सरकार के पास पैसा है और न काम पूरा करा पाने के लिए समय. हाल यह है कि अब राज्य सरकार केंद्र के पैसों के लिए टकटकी लगाए हुए है. लेकिन आचार संहिता की वजह से केंद्र से भी पैसा नहीं आ पा रहा है. सरकार को पूरे साल में जो राजस्व आनेवाला है, वो इन घोषणाओं में होनेवाले खर्च का आधे से भी कम है. बताया जा रहा है कि सरकार को 2018-19 में करीब 26,250 करोड़ राजस्व आनेवाला है. जबकि यह राशि सिर्फ घोषणाओंवाली योजना पर खर्च नहीं करनी है बल्कि तमाम और दूसरी बड़ी योजनाओं पर खर्च करनी है.
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जानें सरकार को किन विभागों से आयेगा राजस्व




2018-19 में राज्य सरकार को राजस्व के तौर पर विभागों से करीब 26,250 करोड़ आने हैं. जिनमें राजस्व एवं भूमि सुधार से 400 करोड़, उत्पाद कर से 1000 करोड़, निबंधन से 700 करोड़, परिवहन से 1,100 करोड़, वाणिज्य कर (जीएसटी शामिल) से 16,050 करोड़, खनन गतिविधियों से अर्जित कर से 7000 करोड़ शामिल हैं. वहीं केंद्रीय कर में राज्य का हिस्सा होगा 27,000 करोड़ और ग्रांट इन एड होगा 13,850 करोड़.
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पिछले दो साल के राजस्व का जानें हाल
झारखंड सरकार की राजस्व प्राप्तियां लगातार घट रही हैं. वाणिज्य कर को सरकार की आय का महत्वपूर्ण साधन माना जाता था. 2016-17 तक वाणिज्य कर की वसूली ठीक-ठाक रही. पर जुलाई 2017 के बाद से जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकार की आमदनी कम हो गयी है, जिसका प्रत्यक्ष असर खजाने पर पड़ने लगा है. उत्पाद कर (एक्साइज ड्यूटी), वाहनों के निबंधन से प्राप्त होनेवाली राशि, पथ कर, जमीन के रजिस्ट्रेशन से मिलनेवाला शुल्क (निबंधन) भी अब सरकार को कम मिल रहा है. महिलाओं के लिए एक रुपये में रजिस्ट्री की घोषणा के बाद से भी इसका प्रतिकूल असर खजाने पर पड़ने लगा है. केंद्र से अमूमन झारखंड को केंद्रीय कर के रूप में 20 हजार करोड़ रुपये मिलते हैं. पर नियमित रूप से पैसे नहीं मिलने से भी परेशानी हो रही है. वाणिज्य कर से 2017-18 तक सरकार को 10,108.91 करोड़ रुपये मिले. 2018-19 में इसे बढ़ा कर इसे 16,050 करोड़ रुपये किया गया. सरकार को जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक 694.31 करोड़ एसजीएसटी के रूप में मिले. यह राजस्व वसूली के तय लक्ष्य से 26 फीसदी कम रहा. 2017-18 में फिर इसे पुनरीक्षित कर 1649 करोड़ किया गया, जिसमें जीएसटी कंपेनसेसन 55.4 करोड़ रुपये था. जीएसटी के लागू होने के पहले एक वर्ष में सरकार को सिर्फ 6,000 करोड़ रुपये ही मिले.
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एक्साइज ड्यूटी और निबंधन ने भी किया है निराश
2014-15 से लेकर 2016-17 तक एक्साइज ड्यूटी की वसूली में 14 प्रतिशत की वार्षिक बढ़ोत्तरी देखी गयी. पर 2017-18 में यह -12.57 प्रतिशत हो गया. सरकार का कहना है कि नयी उत्पाद नीति की वजह से एक्साइज ड्यूटी कम हुई है. 2018-19 में सरकार का दावा था कि उत्पाद कर में 18.93 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होगी. पर यह भी लगातार कम ही हो गया. उत्पाद कर से सरकार को जहां 961.68 करोड़ रुपये मिलते थे. वो नहीं मिला. कमोबेश यही स्थिति निबंधन से प्राप्त होनेवाली आय का है. 2016-17 में निबंधन से सरकार को जहां 607.01 करोड़ मिले थे. वह 2017-18 में घट कर 469 करोड़ हो गया. परिवहन से सरकार को 2016-17 में 681.52 करोड़ रुपये मिले थे. जमीन की रजिस्ट्री से जहां 156 करोड़ रुपये की वसूली होती थी. वह महिलाओं के लिए एक रुपये में निबंधन कराने की घोषणा से लगातार कम हो रहा है.
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खनन से भी मिलता है अच्छा राजस्व
झारखंड सरकार को खनन गतिविधियों से भी अच्छा राजस्व मिलता है. 2014-15 में खनन गतिविधियों से 3,472 करोड़ का राजस्व मिलता था. वह अब बढ़ कर सात हजार करोड़ रुपये हो गया है. केंद्र सरकार से भी झारखंड को ग्रांट इन एड के रूप में 11400 करोड़ से अधिक मिलते हैं. यह बढ़ कर 13850 करोड़ रुपये हो गया है.
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केंद्रीय शेयर भी नहीं मिलता है समय पर
केंद्र से झारखंड को राजस्व वसूली का शेयर भी समय पर नहीं मिलने से लगातार परेशानी हो रही है. 2015-16 में जहां 15968.75 करोड़ रुपये सेंट्रल शेयर झारखंड को मिले थे. वह 2018-19 में बढ़ कर 27 हजार करोड़ रुपये हो गया है. यानी सरकार के राजस्व प्राप्तियों का हिस्सा 2015-16 के 19836.82 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2018-19 में 46250 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
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सरकार को प्राप्त होनेवाला राजस्व
विभाग का नाम | 2014-15 | 2015-16 | 2016-17 | 2017-18 |
भूमि की बिक्री | 83.54 करोड़ | 164.35 करोड़ | 240.26 करोड़ | 156.01 करोड़ |
उत्पाद कर | 740.16 | 912.47 | 961.68 | 840.81 |
निबंधन | 530.67 | 531.64 | 607.01 | 469.34 |
परिवहन | 660.37 | 632.59 | 681.52 | 778.37 |
वाणिज्य कर | 8335.07 | 9248.41 | 10808.78 | 10108.91 |
केंद्रीय शेयर
झारखंड का | 9487.01 | 15968.75 | 19141.92 | 21143 |
खनन क्षेत्र | 3472.99 | 4384.43 | 4094.25 | 5941.36 |
ग्रांट इन एड | 7392.68 | 7337.64 | 9261.35 | 11412.29 |
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