
NewsWing Desk
नेताजी सुभाष चंद्र बोस सुर्खियों में हैं. 125वीं जयंती पर नेताजी की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर 23 जनवरी (रविवार) को लगेगी. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि नेताजी का संबंध लौहनगरी से बहुत गहरा रहा है. शहर में औद्योगिक संबंध को बेहतर बनाने में नेताजी का अहम योगदान रहा है. 1928 में तत्कालीन टिस्को कंपनी (अब टाटा स्टील) में जारी हड़ताल को खत्म कराने में मध्यस्थता की भूमिका निभायी. बाद में जमशेदपुर के मजदूरों ने उन्हें गले लगाया और जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन (अब टाटा वर्कर्स यूनियन) का अध्यक्ष चुना. उन्होंने टिनप्लेट कंपनी के मजदूरों का भी प्रतिनिधित्व किया. लेकिन उनके लिए यह काम आसान नहीं था. जी टाउन मैदान बिष्टुपुर में उन पर जानलेवा हमला हुआ. 21 सितंबर 1931 को नेताजी बिष्टुपुर स्थित जी टाउन मैदान में मजदूरों द्वारा आयोजित एक सभा की अध्यक्षता कर रहे थे, तभी उन पर कातिलाना हमला हुआ. अचानक कुछ हमलावार मंच पर आ गये और नेताजी पर टूट पड़े. दोनों ओर से मारपीट शुरू हो गयी. अपने नेता की जान बचाने के लिए श्रोता बने कर्मचारी हमलावरों पर टूट पड़े. इसके बाद हमलावरों को वहां से भागना पड़ा. हमलावर नेताजी को जान से मारने की नीयत से आये थे, लेकिन सफल नहीं हो पाये. इस घटना में लगभग 40 कर्मचारी घायल हो गये थे. इसके पहले आठ अप्रैल 1929 को भी लेबर एसोसिएशन के कार्यालय पर भी हमला हुआ था.
1928 में पहली बार टाटा आये थे सुभाष बाबू
सुभाष चंद्र बोस 1928 में पहली बार जमशेदपुर आये थे. तीन महीने से टिस्को कंपनी के कर्मचारी हड़ताल पर थे. 19 अगस्त 1928 को उन्होंने जी टाउन मैदान में 10 हजार आक्रोशित कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और उनसे अनुशासन बनाये रखने और बेहतरी के लिए संगठित होने का अनुरोध किया. उनके प्रयास से 12 सितंबर 1928 को हड़ताल समाप्त हुई, जो 3 महीने 12 दिनों तक चली. 8 अप्रैल, 1929 को नेताजी टिनप्लेट वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष चुने गये. वे 1928 से 1937 तक नौ वर्षों तक टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रहे.
इसे भी पढ़ें – BIG NEWS : प्रतिरोध दिवस और नक्सली बंदी के दूसरे दिन मधुबन और खुखरा में माओवादियों ने उड़ाये 2 मोबाइल टॉवर