
Ranchi : खतरनाक बीमारियों से राज्य के नौनिहालों को बचाने की सरकार की कोशिश अब अभियान का रूप धारण कर चुकी है. पिछले सप्ताह राजधानी रांची सहित राज्य के सभी जिलों में मिजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गयी थी, जिसे सफल बनाने में स्वास्थ्य विभाग की टीम पूरे मनोयोग से लगी है. खासतौर पर एएनएम, सहिया जैसे फील्ड स्टाफ मिजल्स रूबेला को झारखंड से खत्म करने में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं.
मानसून की वजह से राज्य के कई इलाकों में आवागमन की सुविधा बाधित हो रही हैं, लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों ने इसे एक चुनौती के रुप में लिया है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों और नदियों के पार बसे हर एक घर तक टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य कर्मी पहुंच रहे हैं.
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निधि खरे सभी सिविल सर्जन और टीकाकरण अभियान से जुड़े लोगों के लगातार संपर्क में


स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे खुद पूरे अभियान की मॉनिटरिंग कर रही हैं. वे राज्य के सभी सिविल सर्जन और टीकाकरण अभियान से जुडे अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं. अभियान की कमियों को दूर करने को लेकर लगातार दिशा निर्देश दे रही हैं. बेहतर काम करने वाले कर्मियों का हौंसला भी निधि खरे बढ़ा रही हैं. चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड में उफनती नदी को पार कर टीकाकरण कार्य में लगीं एएनएम श्यामा कुमारी और सहिया अनिता देवी की मिशन मोड पर काम करने के लिए प्रधान सचिव निधि खरे ने सराहना की. दूसरे कर्मियों से भी पूरी ईमानदारी से काम करने की अपील की. निधि खरे ने इन दोनों के अलावा बेहतर काम करने वाले अन्य कर्मियों का लेखाजोखा रखने का निर्देश अधिकारियों को दिया है. जिससे अभियान में लगे स्वास्थ्यकर्मियों के हौंसले बुलंद हैं.
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जड़ से खत्म किया जायेगा मिजल्स रुबेला
प्रधान सचिव निधि खरे ने बताया कि राज्य से मिजल्स रुबेला को जड़ से खत्म किया जायेगा. इसके लिए विभागीय अधिकारी और कर्मचारी पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहे हैं. कहा कि विभागीय अधिकारियों और कर्मियों की वजह से मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है. जिसकी सराहना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी की है. अस्पतालों की स्थिति बेहतर करने में सफलता मिली है. टीकाकरण के मामले में झारखंड की स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर हुई. उनकी कोशिश है कि स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में झारखंड नबर वन राज्य बने. इस दिशा में सार्थक पहल जारी है. मिजल्स रुबेला टीकाकरण इसी दिशा में एक कोशिश है.
लक्षण नजर आने पर दवाइयों से राहत मिल सकती है
यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के लार या बलगम से सीधे संपर्क, या खांसने या छींकने से हवा के माध्यम से बिखरी बूंदों से फैल सकती है. लक्षण अक्सर संक्रमण के संपर्क में आने के दो से तीन हफ़्तों के बाद दिखाई देते हैं, और इसमें हल्का बुखार और सिर दर्द भी शामिल हो सकते हैं. संक्रमण होने के बाद उसका इलाज नहीं किया जा सकता, लेकिन उसके लक्षण नज़र आने पर दवाइयों से राहत ज़रूर मिल सकती है. टीका लगवा कर इस बीमारी से बचा जा सकता है. इसलिए राज्य के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मिजेल्स रुबेला का टीकाकरण अभियान सफल होना बहुत जरुरी है.
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