
Rahul Guru
Ranchi: झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से जारी 7वीं, 8वीं और 9वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है.
दरअसल जिस नियमावली की वजह से 6ठी जेपीएससी में विवाद हुआ, उसी नियमावली को लेकर नयी जेपीएससी परीक्षा का विज्ञापन जारी किया गया है.


उम्मीदवारों के बीच इसको लेकर असमंजस की स्थिति है. यही वजह है कि 7वीं, 8वीं और 9वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में भी विवाद हो सकता है.




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क्या है विवाद की वजह
जिस नियमावली के तहत 6ठी जेपीएससी का विज्ञापन जारी किया गया था. उसी नियमावली के साथ 7वीं, 8वीं और 9वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का विज्ञापन जारी किया गया है.
6ठी जेपीएससी में विवाद प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में कोटिवार आरक्षण देने को लेकर हुआ था. 6ठी जेपीएससी परीक्षा के विज्ञापन में प्रारंभिक परीक्षा के आधार पर कोटिवार रिक्तियों की संख्या के 15 गुणा उम्मीदवारों के चयन की बात कही गयी थी. लेकिन इस विज्ञापन में आरक्षण दिया जायेगा या नहीं इसका जिक्र नहीं किया गया. प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में कोटिवार रिजल्ट तो जारी किया गया लेकिन आरक्षण नहीं मिला.
7वीं, 8वीं और 9वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के विज्ञापन में रिक्तियों की संख्या के 15 गुणा उम्मीदवारों के चयन की बात कही गयी है, लेकिन इस विज्ञापन में भी आरक्षण देने का जिक्र नहीं है.
क्यों पेंच में फंसेगी परीक्षा
7वीं, 8वीं और 9वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा विज्ञापन के अस्पष्ट होने के कारण विवादों में आ सकती है. उम्मीदवारों का कहना है कि परीक्षा विज्ञापन में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं रहने के कारण आरक्षण देना है या नहीं यह पूरी तरह से जेपीएससी पर निर्भर करता है.
6ठी जेपीएससी की तरह ही जेपीएससी चाहेगा तो 7वीं, 8वीं और 9वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण देगा या नहीं देगा. उम्मीदवारों का कहना है कि जेपीएससी को इसे स्पष्ट कर देना चाहिए.
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अमर बाउरी कमेटी ने भी प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण को सही माना
6ठी जेपीएससी जब विवाद में आया तब तत्कालीन रघुवर दास सरकार के मंत्री अमर बाउरी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनायी गयी थी. इसमें राधाकृष्ण किशोर, सत्येंद्र नाथ तिवारी, राज सिन्हा, अमित मंडल, राम कुमार पाहन और एसकेजी रहाटे सदस्य थे.
इस कमेटी ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जेपीएससी की ओर से प्रथम से लेकर चतुर्थ जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण के प्रावधान को लागू रखा गया था. लेकिन पांचवीं जेपीएससी से प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण हटा दिया गया था.
सरकार की ओर से आयोग को कोई दिशा-निर्देश आरक्षण व्यवस्था को लागू बनाये रखने के लिए नहीं मिला. ऐसे में जेपीएससी ने बिना किसी निर्देश के प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण को खत्म कर दिया.
बिना निर्देश के ऐसा करने का जवाबदेह जेपीएससी है. इसलिए जेपीएससी के दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई की जाये. साथ ही जेपीएससी की हर परीक्षा में प्रारंभिक स्तर पर ही आरक्षण लागू हो.
बिहार प्रारंभिक परीक्षा में ही देता है आरक्षण
महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य गठन के बाद लोकसेवा आयोग नियमावली बिहार सरकार से ली गयी थी. बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से उपलब्ध कराये गये दस्तावेज में लिखा गया है कि वह अपनी सभी वेकेंसी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ देता है.
एक अहम बात यह भी है कि बिहार लोक सेवा आयोग अपने यहां प्रारंभिक परीक्षा में 10 गुना रिजल्ट जारी करता है, जबकि जेपीएससी 15 गुना रिजल्ट प्रकाशित करता है.
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