
Ranchi :: दिल्ली से रेस्क्यू कराकर वापस झारखंड लाये गये 44 बच्चे-बच्चियों से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज अपने आवास पर मुलाकात की. मुख्यमंत्री से मुलाकात कराने के लिए इन बच्चियों को बसों से ले जाया गया था.
सभी बच्चियों से रूबरू होते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें अपना बड़ा भाई बताया . साथ ही घोषणा की कि इन लड़कियों में जो भी बच्ची अभी अवयस्क हैं, यानी 18 साल की आयु पार नहीं की है, उन्हें सरकार प्रतिमाह 2000 गुजारा भत्ता देगी.


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18 साल से ऊपर की लड़कियों को सरकार रोजगार उपलब्ध करायेगी
हेमंत सोरेन ने कहा कि जो लड़कियां 18 साल से ऊपर हो चुकी हैं, उन्हें सरकार रोजगार उपलब्ध करायेगी. हेमंत सोरेन ने कहा है कि रेस्क्यू कर घर वापसी करने वाली इन बच्चियों को बाहर की दुनिया की जानकारी नहीं है. राज्य सरकार के अंतर्गत कार्यरत बाल कल्याण विभाग के माध्यम से ऐसे बच्चों के लिए सरकार पहले से ही घर लाने को प्रयासरत है.
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गरीबी का फायदा मानव तस्करी करने वाले उठाते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीबी ऐसी चीज है, जो उम्र नहीं देखती है. गरीबो का जीवन जन्म से ही संघर्षमय होता है. इसी का फायदा मानव तस्करी करने वाले लोग उठाते है. ऐसे मानव तस्करी वाले लोग हमेशा राज्य के पिछड़े इलाकों पर ही अपना फोकस बनाये रखते हैं.
हेमन्त ने कहा, वे इन जैसी बच्चियों के लिए शुरू से चिंतित रहे हैं. वे कभी नहीं चाहते हैं कि झारखंड की इन गरीब बच्चियों को “नौकरानी और दाई” के नाम से संबोधित किया जाये.
इसीलिए उनकी सरकार ने हमेशा ऐसी बच्चियों के कल्याण के लिए काम किया है. इस दौरान रेस्क्यू कराये गये एक बच्चे को लेकर मुख्यमंत्री और राजमहल सांसद विजय हांसदा ने बड़ी घोषणा की. दोनों ने उस बच्चे के पूरी उम्र तक पढ़ाई का जिम्मा उठाने की घोषणा की.
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