Ranchi: झारखंड युवा कांग्रेस के विधानसभा घेराव कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने बदलाव करवाया, लेकिन उसके बावजूद कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
दरअसल, घेराव कार्यक्रम को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने पूर्व की तारीख को बदलने की बात संगठन के युवा नेताओं से की थी. विधानसभा घेराव का कार्यक्रम 24 जुलाई को होना प्रस्तावित था, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के कहने पर युवा नेताओं ने तिथि को 25 जुलाई में बदला.
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लेकिन इसके बावजूद डॉ अजय कुमार विधानसभा घेराव में नहीं पहुंचे. सूचना यह भी है कि गुरूवार शाम को वे रांची आये और सड़क मार्ग होते हुए जमशेदुपर की ओर रवाना हो गये.
राजधानी में रहते हुए पार्टी के सात विधायकों ने तो कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. लेकिन प्रदेश अध्यक्ष सहित जिला महानगर अध्यक्ष, ग्रामीण जिला अध्यक्ष सहित सभी प्रवक्ताओं ने कार्यक्रम में आना मुनासिब नहीं समझा.
बताया जा रहा है कि इन सभी को भी युवा संगठन द्वारा आने की बात कही गयी थी. इस गतिविधि (विशेषकर प्रदेश अध्यक्ष की) से जहां युवा कांग्रेस के कई कार्यकर्ता नाराज हैं.
वहीं तिथि परिवर्तन का असर यह हुआ कि कई क्षेत्र के लोग (विशेषकर जमशेदुपर, गांडेय और बेरमो) के धरना-प्रदर्शन में नहीं पहुंच पाये, वहीं पहले से छपाये गये होर्डिंग पर बेफिजूल खर्च का नुकसान युवा कांग्रेस संगठन को झेलना पड़ा.
राजनीति नहीं करनी तो दें इस्तीफा
अगर गुरूवार को युवा कांग्रेस के विधानसभा घेराव कार्यक्रम की जमीन हकीकत को बताया जाये, तो कार्यकर्ताओं की कम भीड़ के बावजूद विरोध-प्रदर्शन काफी असरदार रहा.
युवा नेताओं की मानें, तो अगर तिथि में परिवर्तन नहीं किया जाता तो युवाओं नेता और भारी संख्या में पहुंच कार्यक्रम को और मजबूती देते. जब प्रदेश अध्यक्ष को राज्य में कांग्रेस पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं ही करनी है, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.
उस युवा नेता ने बताया कि विरोध-प्रदर्शन की तिथि 24 को पहले निर्धारित थी. लेकिन प्रदेश अध्य़क्ष डॉ. अजय कुमार ने युवा संगठन के शीर्ष नेताओं को तिथि बदलने की बात कही.
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प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते नेताओं ने उनकी बात मानकर तिथि में परिवर्तन कर इसे 25 जुलाई कर दिया गया. लेकिन आश्चर्य है कि प्रदेश अध्यक्ष ही कार्यक्रम से नदारद रहे. जिससे कई क्षेत्र के लोग कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके.
तिथि परिवर्तन से कार्यकर्ता नहीं पहुंचे घेराव कार्यक्रम में
युवा कांग्रेस के एक नेता की मानें, तो जमशेदुपर स्थित टाटा मोटर्स के मैनजमेंट ने चार दिन (21 से 24 जुलाई) के उत्पादन काम पर ब्लॉक बंदी की थी. बंदी के दौरान वेतन भी वहां काम करने वाले कई कार्यकर्ताओं को दिया जाना था.
नियम यही कहता है कि ब्लॉक बंदी के अगले दिन यानि 25 जुलाई को काम पर नहीं जाने वालों को चार दिन का वेतन नहीं मिलता. इसे देख जमशेदुपर युवा कांग्रेस नेताओं ने 24 को ही विधानसभा घेराव की तिथि निर्धारित की.
लेकिन प्रदेश अध्यक्ष की तिथि बदलने से टाटा मोटर्स में काम करने वाले कई युवा कार्यकर्ता घेराव कार्यक्रम में नहीं आ सके. इसी तरह 25 जुलाई को बेरमो में नगर निगम का घेराव और गांडेय में बिजली घर के घेराव कार्यक्रम से भी यहां के कार्यकर्ता असमंजस में रहे. जिसका असर विरोध-प्रदर्शन में देखा गया.
सात विधायक तो पार्टी हित में आये, लेकिन अऩ्य नेता रहे नदारद
युवा नेता का कहना है कि विधानसभा चुनाव में काफी समय़ नहीं बचा है. अपने नेताओं की नकारात्मक सोच से पार्टी निष्क्रियता की ओर है. चुनाव में टिकट अगर किसी पार्टी उम्मीदवार को मिलता है, तो उसी के खिलाफ अपने ही नेता राजनीतिक षडयंत्र में लग जाते हैं.
पार्टी विधायक तो चाहते है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी मजबूती से उभरे. इस दायित्व को समझते हुए मॉनसून सत्र चलने के दौरान सात विधायक कार्यक्रम में उपस्थित रहे.
वही राजधानी में कार्यक्रम होने के बावजूद महानगर अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष सहित अन्य कई प्रवक्ता विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम में नहीं पहुंचे.
पहली बार नहीं है प्रदेश अध्य़क्ष का कार्यक्रम में नहीं आना
हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष के लिए पार्टी के किसी सरकार विरोधी कार्यक्रम में नहीं आने का ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी प्रदेश अध्य़क्ष सहित कई प्रवक्ता युवा कांग्रेस के मुख्यमंत्री आवास घेराव कार्यक्रम में नहीं शामिल हुए.
जबकि उसमें भी विधायक दल के नेता आलमगीर आलम आये थे. शुक्रवार को भी यह नजारा महिला कांग्रेस के विधानसभा घेराव में दिखा. महिला कांग्रेस की एक नेता ने बताया कि प्रदेश अध्य़क्ष ने उनके कार्यक्रम में भी आने की बात कही थी.
लेकिन वे नहीं आए. वहीं महिला कांग्रेस के विधानसभा घेराव में विधायक आलमगीर आलम, विक्सल कोंगाड़ी, युवा कांग्रेस अध्य़क्ष कुमार गौरव सहित पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता मौजूद थे.
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