
जिन देशों के पास लौह अयस्क नहीं है, वे 50-100 मिलियन टन स्टील का निर्यात कर रहे हैं और भारत, जिसके पास लौह अयस्क है, मुश्किल से 2 करोड़ टन स्टील का निर्यात कर रहा है. मेक इन इंडिया को हकीकत बनाने के लिए भारत को खुद और दूसरे देशों के लिए अपने लौह अयस्क को स्टील में बदलना होगा “
Jamshedpur : टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा है कि भारत में इस्पात उद्योग, निजी क्षेत्र के निवेश का नेतृत्व करेगा, क्योंकि निर्माताओं ने वस्तुओं की ऊंची कीमतों के दौरान काफी मुनाफा कमाया है. नरेंद्रन ने एक समाचार पत्र को दिये साक्षात्कार में कहा कि हम जो मुनाफा कमाते हैं, वह काफी हद तक निवेश के रूप में देश में वापस आ रहा है. टाटा स्टील ने दिसंबर तिमाही के लिए रिकॉर्ड 9,573 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया. जब आप निजी क्षेत्र के निवेश को ट्रिगर करने पर विचार करते हैं, तो मुझे लगता है कि इस्पात उद्योग निश्चित रूप से आगे बढ़ सकता है और हमें इस्पात उद्योग को भारत में अधिक क्षमता के साथ ऐसा करने की अनुमति देनी चाहिए. शीर्ष तीन स्टील उत्पादक – टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील और आर्सेलर मित्तल-निप्पॉन स्टील ने लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये तक के निवेश की योजना पर चर्चा की है. उन्होंने कहा कि एक लौह अयस्क उत्पादक देश होने के नाते भारत को चीन जैसे अन्य देशों की तुलना में वर्तमान में अधिक स्टील का निर्यात करना चाहिए. जिन देशों के पास लौह अयस्क नहीं है, वे 50-100 मिलियन टन स्टील का निर्यात क्यों कर रहे हैं? और भारत, जिसके पास लौह अयस्क है, मुश्किल से 2 करोड़ टन स्टील का निर्यात कर रहा है. “अगर आप मेक इन इंडिया चाहते हैं, तो आपको यहां के लौह अयस्क को भारत और दुनिया के लिए स्टील में बदलना चाहिए.
टाटा स्टील के लिए आदर्श मैच की तरह था नीलाचल को खरीदना


नीलाचल (एनआईएनएल) को 12,100 करोड़ रुपये में खरीदने के टाटा स्टील के औचित्य के बारे में बताते हुए नरेंद्रन ने कहा कि यह संपत्ति भारत के सबसे पुराने स्टील निर्माता के लिए एक आदर्श मैच थी. नीलाचल हमारे लिए कई मायनों में एक आइडिल फिट है, क्योंकि यह हमारे कलिंगनगर प्लांट के पास है. कलिंगनगर में टाटा स्टील के मौजूदा सेटअप के लिए संयंत्र की निकटता इसे बड़े पैमाने की बेहतर अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाने में मदद करेगी. इस संपत्ति से कंपनी को अपनी विस्तार योजनाओं को आगे बढ़ना में लाभ मिलेगा और वह लांग प्रोडक्ट्स की संभावनाओं को आगे बढ़ाएगा. इसके अलावा नीलाचल की संपत्ति में 100 मिलियन टन लौह अयस्क का भंडार भी शामिल है. हमने इस तरह से बोली लगायी कि अगर हम इसे उस कीमत या उससे अधिक पर खो देते हैं, तो हमें कोई पछतावा नहीं होगा. नीलाचल में हमारे लिए एक बड़ा अवसर है, जो हमारे लिए अद्वितीय है, किसी और के पास वह स्ट्रैटजिक वैल्यू नहीं है.




सालाना 50 मिलियन टन उत्पादन क्षमता होगी
इस अधिग्रहण के साथ टाटा स्टील आने वाले दशक के लिए अपनी विकास महत्वाकांक्षाओं को पर्याप्त रूप से पूरा कर सकती है और उत्पादन क्षमता 50 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक पहुंच सकती है. कलिंगनगर संयंत्र में 3 एमटीपीए की क्षमता स्थापित है जिसे बढ़ाकर 8 एमटीपीए किया जा रहा है और मांग बढ़ने पर इसे 16 एमटीपीए तक बढ़ाया जा सकता है. अंगुल में संयंत्र की क्षमता 5 एमटीपीए है जिसे 10 एमटीपीए तक बढ़ाया जा सकता है और जमशेदपुर संयंत्र की स्थापित क्षमता 10 एमटीपीए है. इस इस बीच नीलाचल संयंत्र को 10 मिलियन टन प्रति वर्ष तक के उत्पादन के लिए तैयार किया जा सकता है. अस्थिर कीमतें नरेन्द्रन ने कहा कि वस्तुओं की ऊंची कीमतों ने पिछले एक साल में स्टील निर्माताओं के सामने स्टील की कीमतों को उच्च स्तर पर अस्थिर किया है, क्योंकि स्टील निर्माताओं के लिए कोयला और लौह अयस्क जैसी इनपुट लागत बढ़ी है. दिसंबर तिमाही में टाटा स्टील का राजस्व क्रमिक रूप से सपाट रहा, लेकिन कमोडिटी की तेज कीमतों के कारण इसके मार्जिन में गिरावट आई. नरेंद्रन ने कहा कि चालू तिमाही के दौरान मार्जिन में और कमी आयेगी.
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