
New Delhi: आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने देश के राजकोषीय घाटे को लेकर गहरी चिंता जतायी है. उनका कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था गंभीर संकट की ओर बढ़ रही है.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि बढ़ता राजकोषीय घाटा एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबसे बड़ा कारण है और यही उसे पीछे की ओर धकेल रहा है. श्री राजन ने ब्राउन यूनिवर्सिटी में ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान यह टिप्पणी की.
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आर्थिक नजरिये में अनिश्चितता
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के गंभीर संकट का कारण अर्थव्यवस्था को लेकर नजरिये में अनिश्चितता है. उन्होंने कहा कि पिछले कई साल तक अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी सुस्ती आयी है. साल 2016 की पहली तिमाही में विकास दर 9% रही थी.
विकास के नये स्रोत का पता लगाने में नाकामी
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर छह साल के निचले स्तर 5% पर पहुंच गयी है और दूसरी तिमाही में इसके 5.3% के आसपास रहने की उम्मीद है. दिक्कतों की शुरुआत कहां से हुई के बारे में चर्चा करते हुए राजन ने कहा कि पहले की दिक्कतों का समाधान नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि असल दिक्कत यह है कि भारत विकास के नये स्रोतों का पता लगाने में नाकाम रहा है.
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बढ़ाना होगा निवेश, खपत और निर्यात
राजन ने कहा कि भारत के वित्तीय संकट को एक लक्षण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि मूल कारण के रूप में.’ उन्होंने विकास दर में आयी गिरावट के लिए निवेश, खपत और निर्यात में सुस्ती तथा एनबीएफसी क्षेत्र के संकट को जिम्मेदार ठहराया.
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