
New Delhi: 17वीं लोकसभा के स्पीकर का 19 जून (बुधवार) को चयन हुआ. बीजेपी सांसद ओम बिड़ला को लोकसभा का अध्यक्ष निर्विरोध रूप से चुना गया. एनडीए के सभी दल, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी ओम बिड़ला के नाम का समर्थन किया.
राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिड़ला ने मंगलवार को ही अपना नामांकन किया था. हालांकि, उनके खिलाफ किसी ने पर्चा नहीं भरा था, ऐसे में उनका चुना जाना तय था.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका राजनाथ सिंह ने समर्थन किया. इसके बाद अमित शाह, अरविंद सावंत समेत अन्य कई सांसदों ने ओम बिड़ला का प्रस्ताव रखा और अन्य सांसदों ने उसका समर्थन किया.
चुनाव की प्रक्रिया के बाद ओम बिड़ला ने स्पीकर पद की कुर्सी संभाली और सदन की कार्यवाही आगे बढ़ी. कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया गया है.
मोदी खुद चेयर तक छोड़ने आये
बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा. जिसका रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने समर्थन किया. इसके बाद अमित शाह, अरविंद सावंत समेत अन्य कई सांसदों ने भी ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव रखा जिसका अन्य सांसदों ने समर्थन किया.
कांग्रेस, टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया. चयन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पीएम खुद उन्हें स्पीकर की चेयर तक लेकर आये.
‘नम्रता का कोई दुरुपयोग न कर ले’
इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा कि, “ओम बिड़ला को स्पीकर के पद पर आसीन देखना गर्व की बात है. पुराने सदस्य इनसे भली-भांति परिचित हैं. राजस्थान में भूमिका से भी लोग परिचित हैं. वे जहां से आते हैं, वो शिक्षा का काशी बन गया है.
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कोटा एक प्रकार से लघु भारत बन गया है. हम लोगों की एक छवि बनी रहती है कि 24 घंटे हम राजनीति ही करते हैं, तू-तू-मैं-मैं करते हैं. लेकिन अब ऐसी पॉलिटिक्स का जमाना जा रहा है.
बिड़लाजी की पूरी कार्यशैली समाजसेवा पर केंद्रित रही. गुजराज में भूकंप आने के बाद वे लंबे समय तक अपने इलाके के साथियों के साथ वहां रहे. जब केदारनाथ हादसा हुआ तो अपनी टोली के साथ वहां भी समाजसेवा में लग गए.”
पीएम मोदी ने आगे कहा, ”बिड़ला एक प्रसादम नाम की योजना चलाते हैं जिसमें गरीबों को खाना खिलाया जाता है. एक प्रकार से उन्होंने अपना केंद्र बिंदु जन आंदोलन से ज्यादा जनसेवा को बनाया.
वे हमें अनुशासित करेंगे. मुझे विश्वास है कि लोकसभा में वे उत्तम तरीके से चीजों को कर पाएंगे. लेकिन मुझे डर है कि उनकी नम्रता और विवेक का कोई दुरुपयोग न कर ले. हम जब पिछले सत्र को याद करेंगे तो सुमित्रा जी का हमेशा मुस्कुराना और स्नेह से डांटना याद आएगा.
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