
Akshay Kumar Jha
Ranchi: झारखंड बनते ही राज्य में जमीन लूट की शुरुआत हुई. जो अब यहां एक परंपरा बन चुकी है. बड़े नेता हों या अधिकारी कइयों के नाम जमीन संबंधी कानून तोड़ने से जुड़े हैं. इसी लूट के बीच न्यूज विंग ने अरगोड़ा अंचल के हीनू मौजा के खाता नंबर 122 के प्लॉट नंबर 1602, 1603 से जुड़ी खबर चलायी. यह जमीन शुद्ध रूप से एक डिफेंस लैंड है.
जिसपर रिप्लिका इस्टेट नाम की कंपनी ने फर्जी तरीके से कब्जा कर लिया था. कब्जा करने के बाद कंपनी ने प्रशासन की मिलीभगत से इसकी रजिस्ट्री औऱ म्यूटेशन दोनों करा लिया. इतना ही नहीं रिप्लिका ने इस जमीन को बेच भी दिया. दोबारा से इस जमीन की रजिस्ट्री हुई और दूसरी बार एक बार फिर से इसका म्यूटेशन कराने की तैयारी थी.
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न्यूज विंग ने इस खबर को एक सीरीज के तहत तीन किस्तों में खबर चलायी. अब रांची के डीसीएलआर ने इस जमीन का म्यूटेशन रद्द करने का आदेश निकाला है. जिससे साबित होता है कि न्यूज ने एक सच्ची खबर चलायी थी, जिसपर रांची प्रशासन ने कार्रवाई की है.
कैसे किया था कब्जा
खाली जमीन देखकर इसे कब्जा करने की मंशा कई लोगों के दिमाग में थी. लेकिन सटीक दाव लगा रिप्लिका इस्टेट नाम की कंपनी का. कंपनी ने 2009 में ही जमीन की रजिस्ट्री और म्यूटेशन करा लिया. इस जमीन को दोबारा से कंपनी ने रांची के जिला सहकारिता अधिकारी मनोज कुमार साहू को बेच दिया गया.
दोबारा से जमीन की रजिस्ट्री हुई. जबकि जमीन की रजिस्ट्री ना हो, इसके लिए रजिस्ट्री कार्यालय में एक आवेदन भी दिया गया था.
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बिना वन विभाग के परमिशन के काटे और जलाये जा रहे हैं पेड़
जिस आर्मी की जमीन पर पहले रिप्लिका इस्टेट ने पहले कब्जा किया और मोटी रकम पर जिला सहकारिता अधिकारी को बेची, उस जमीन पर सखुआ और लीची के कई पेड़ लगे हुए थे. जमीन पर निर्माण करने के लिए झारखंड सरकार की सरकारी गाड़ी खड़ी कर बिना वन विभाग की अनुमति के पेड़ काटे गए. साथ ही लीची के पेड़ों में आग लगा दी गयी. ताकि वो सूख जाए और बाद में उसे काटा जा सके.
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आरटीआई से भी हुआ खुलासा
अरगोड़ा अंचल के हीनू मौजा के खाता नंबर 122 के प्लॉट नंबर 1602, 1603 शुद्ध रूप से आर्मी की जमीन है. इस बात की पुष्टि और कोई नहीं बल्कि खुद प्रशासन कर रहा है. 14 अगस्त 2018 को अरगोड़ा अंचल कार्यालय ने एक आरटीआई का जवाब दिया. आरटीआई इसी जमीन से संबंधित थी.
अंचल कार्यालय के जवाब में जो लिखा है, उसे देखकर प्रशासन के काम करने के तरीके का पता चलता है. अंचल कार्यालय के जवाब में उक्त जमीन को आर्मी का भी बताया जा रहा है और रिप्लिका इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड का भी.
अंचल कार्यालय लिखता है कि खाता नंबर 122 के 1602 प्लॉट नंबर रकबा 12 कट्ठा जमीन रिप्लिका इस्टेट के साथ-साथ सैन्य अधिग्रहण में अर्जित है. जबकि ऐसा कतई नहीं हो सकता. या तो जमीन कंपनी की होगी या फिर यह जमीन सेना की होगी. एक ही समय में जमीन के दो-दो मालिक कैसे हो सकते हैं.
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एसएआर कोर्ट ने माना कि जमीन आर्मी लैंड है
खूंटी-चाइबासा रोड पर स्थित अरगोड़ा अंचल के खाता 122 प्लॉट नंबर 1601, 1602 और 1604 का मामला एसएआर (शिड्यूल एरिया रेगुलेटरी कोर्ट) पहुंचा. सात जुलाई 2017 को डीसी रांची, जो कोर्ट में जज की भूमिका में होते हैं.
उन्होंने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी पक्षों और तमाम सबूतों को देखने के बाद यह साबित होता है कि अरगोड़ा अंचल के खाता नंबर 122, प्लॉट नंबर 1601 का 0.92 एकड़ जमीन, 1602 का 0.26 एकड़ जमीन और 1604 का 0.38 एकड़ जमीन मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने अधिग्रहित की है. इसलिए आवेदक की बात सही है.
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