
Jamshedpur : मॉनसून के आते ही गांव से लेकर शहरों तक में सांपों का खतरा बढ़ रहा है. पूर्वी सिंहभूम के ग्रामीण इलाके में बारिश के दिनों में एक ऐसे जहरीले सांप का खतरा बढ़ जाता है, जो इंसानों के साथ सोना पसंद करता है. यह इसलिए और भी खतरनाक हो जाता है क्योंकि इसके काटने का पता भी नहीं चलता. कई बार तो पीड़ित की मौत नींद में ही हो जाती है. यह एक बाइट में इतना ज्यादा जहर मानव शरीर में छोड़ता है, जिससे 40 से अधिक लोगों की मौत हो सकती है. हम बात कर रहे हैं भारत में जमीन पर रहनेवाले सांपों में सबसे अधिक जहरीले करैत की. झारखंड के कोल्हान इलाके में यह चित्ती सांप के नाम से मशहूर है. काले या सलेटी रंग के इस सांप के शरीर पर गोल पट्टियां होती हैं. दिखने में यह भले ही काफी सुंदर और शांत नजर आये, लेकिन हकीकत में यह बेहद जानलेवा है. इसकी खासियत है दिन-भर दुबककर अंधेरे में सोये रहना. छूने या पकड़े जाने पर मुंह को कुंडली में छिपा लेना. बहुत छेड़े जाने पर एक फुफकार के साथ डंस लेना, और ज़हर इतना कि दस-बारह हट्टे-कट्टे व्यक्ति ढेर हो जायें. कोबरा-वाइपर-करैत की तिकड़ी में सबसे विषैला सांप. कोबरा के ही विष की तरह तंत्रिकाओं को पंगु कर के मारता है. एक दंश का नतीजा होता है, निश्चेष्ट मांसपेशियां, रुका-थमा डायफ़्राम, अवरुद्ध सांसें. और प्राणांत.

– करैत के काटने का परिणाम
करैत के काटने पर शिकार को लगातार पक्षाघात (progressive paralysis) के साथ, पेट में गंभीर ऐंठन होती है. समय पर उपचार नहीं मिलने पर लगभग चार से आठ घंटे में पीड़ित की मौत हो जाती है. मौत का कारण सामान्य सांस लेने में रुकावट होती है.– करैत के काटने के लक्षण
काटने के एक से दो घंटे में पीड़ित के चेहरे की मांसपेशियों में कसाव आने लगता है. देखने और बात करने में दिक्कत आने लगती है. करैत के काटने के बाद इलाज नहीं मिलने पर मौत होने की दर 70 से 80 प्रतिशत दर्ज़ की गयी है.
करैत सांप की पहचान
इंडियन कॉमन करैत भारत के सर्वाधिक जहरीले चार सांपों में सबसे अधिक जहरीला है. Bungarus caeruleus प्रजाति का इंडियन करैत, कॉमन करैत या ब्लू करैत के नाम से भी जाना जाता है. इसकी औसत लंबाई 0.9 मीटर (3 फीट) होती है, लेकिन यह 1.75 मीटर (5 फीट 9 इंच) तक बढ़ सकते हैं. नर करैत मादा से ज्यादा लंबा होता है. आमतौर पर काले या नीले रंग के इस सांप के शरीर पर लगभग 40 पतली सफ़ेद धारियां होती हैं. ये धारियां शुरुआत में नजर नहीं आतीं लेकिन बड़े होने के साथ-साथ ये गहरी होती जाती हैं. मादा करैत कोबरा की तरह अंडे देती है. वाइपर की तरह बच्चे नहीं. करैत दिन में कुंडली मार अलसाते हैं और रात में फुफकार कर शिकार करते हैं.
इंडियन करैत का भोजन और दिनचर्या
करैत मेढकों-चूहों के अलावा अन्य सांपों को भी चाव से खाते हैं. इसके मुख्य भोजन में दूसरे सांप, ब्लाइंड वर्म (blind worm; Typhlops प्रजाति का सांप) और करैत प्रजाति के अन्य सांप, विशेषकर छोटी उम्र के सांप होते हैं. यह चूहे जैसे छोटे स्तनधारियों और घोंघे, छिपकली, बिच्छू और मेंढक आदि को भी खाता है. नन्हें और युवा करैत सांप आर्थ्रोपोडस (रेंगनेवाले छोटे कीड़े) को शिकार बनाते हैं.
इसलिए कहा जाता है साइलेंट किलर
करैत निशाचर होते हैं, इसलिए दिन के उजाले में मनुष्यों का इससे सामना कम ही होता है. इसके डंसने की घटनाएं मुख्य रूप से रात में होती हैं. ज्यादातर गांव के लोग इसके शिकार होते हैं. बारिश के मौसम में गांव में लोग जमीन पर सो जाते हैं. ठंडे खून वाला सांप होने के कारण करैत गर्मी पाने के लिए इंसान के बिस्तर में घुस जाता है. इंसानी शरीर की गर्मी इसे अच्छी लगती है. ज्यादातर यह इंसानी शरीर के ऊपरी हिस्से पर लिपटने की कोशिश करता है. करवट लेने या हिलने-डुलने से जैसे ही इंसान का शरीर सांप के संपर्क में आता है, यह आदमी को डंस लेता है. करैत के दांत बेहद बारीक होते हैं. इसलिए इसके काटने पर कई बार न के बराबर दर्द होता है. इस कारण पीड़ित व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि उसे सांप ने काटा है. इस कारण से इसके इलाज में देरी हो जाती है. अपनी इसी खासियत के कारण इस सांप को साइलेंट किलर स्नेक भी कहा जाता है. करैत के जहर में शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन्स होते हैं, जो मांसपेशियों को लकवाग्रस्त कर देते हैं. इसके विष में प्रीसानेप्टिक और पोस्टसिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन होते हैं, जो आमतौर शिकार के सिनैप्टिक क्लेफ्ट (सूचना-प्रसारण के बिंदु) को प्रभावित करते हैं.
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