
Giridih: सीसीएल के अधीन गिरिडीह बनियाडीह का ओपनकास्ट और कबरीबाद कोयला खदान लंबे समय से बंद है. इस मामले को लेकर लेकर स्थानीय तौर पर भाकपा माले और झामुमो आमने-सामने नजर आ रहे हैं. दो दिन पूर्व भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह के नेतृत्व में कोयला खदान को फिर से शुरू करने को लेकर धरना दिया गया था. मंगलवार को सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और जेएमएम जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस कर माले नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्हें दोनो कोयला खदान के खनन का इतिहास तक नहीं पता है,वो अब राजनीति कर रहे हैं.सदर विधायक ने माले को कुकरमुत्ते श्रेणी वाले पार्टी की संज्ञा देते हुए कहा कि दोनों कोयला खदान सीटीओ के अभाव में बंद पड़े हैं.इन गंभीर मामले में भाकपा माले के नेताओं और विधायक को कूदने से परहेज करना चाहिए. सदर विधायक ने कहा कि कबरीबाद खदान चार साल से बंद पड़ा है जबकि ओपनकास्ट खदान पिछले साल से बंद पड़ा है.पिछले दो साल से दोनो खदान को सीटीओ दिलाने को लेकर दिल्ली और रांची की दौड़ लगा रहे है और जब जाकर सीटीओ मिलने की दिशा में पहल शुरू हो गई है.जल्दी ही दोनों खदान के शुरू होने की उम्मीद बढ़ी है.
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कानूनी अड़चन के कारण मामला लंबित
1980 में आए उच्चतम न्यायालय के एक फैसले में कहा गया था कि जो खनन एरिया जंगल इलाके में पड़ता है, वहां खनन नही हो सकता और इसी कारण वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दोनों खदानों को एनवायरमेंट क्लियरेंस देने से इंकार कर दिया था. इसी कारण केंद्र सरकार के जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से गिरिडीह के दोनों खदान को सीटीओ नही मिल रहा था. लिहाजा, इन दोनो खदानों के इतिहास पर फोकस किया गया. जिसमे यह बात सामने आई की गिरिडीह के दोनो खदान से 1857 से कोयले का उत्खनन होता रहा है, और इतने लंबे कालखंड में कोयला उत्खनन एनसीडीसी से लेकर ईस्टर्न रेलवे तक संभाला. इससे जुड़े तथ्य जुटाने में दो साल का वक्त लगा. जिसके आधार पर राज्य वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एनवायरमेंट क्लियरेंस उपलब्ध कराया और इसी के आधार पर केंद्र सरकार के जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दोनो खदानों के शुरू किए जाने से जुड़ा स्वीकृति दिया है तो अगले कुछ दिनों में कबरीबाद खदान का सीटीओ डीएफओ कार्यालय से मिलने की उम्मीद बढ़ी है और अगले माह तक यह भी उम्मीद है की कबरीबाड़ खदान शुरू हो जाए.