
Palamu : झारखंड-बिहार की सीमा पर स्थित हुसैनाबाद विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी जोर पकड़ने लगी है.
अभी तक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह, लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो चुनावी सभा कर चुके हैं.
चिराग पासवान और सुदेश महतो ने अपने पार्टी प्रत्याशी, जबकि अरुण सिंह ने भाजपा समर्थित विनोद सिंह के पक्ष में नुक्कड़ सभा की है.


शिवपूजन मेहता की है जबरदस्त घेराबंदी




अभी तक अपने दमखम पर और पार्टी का सहारा लेकर प्रत्याशी चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं.
राजनीतिक गलियारे में इस बात की जोरदार चर्चा है कि हुसैनाबाद से विजयश्री किसे मिलेगी, यह कहना तो थोड़ी जल्दीबाजी होगी, किन्तु इतना तय है कि वर्तमान विधायक और बसपा से पाला बदलकर आजसू के सिम्बल पर चुनाव लड़ रहे शिवपूजन मेहता का इसबार जीतना आसान नहीं है.
मेहता के किले की चारों ओर से जबरदस्त घेराबंदी राजद, राकांपा, बसपा, भाजपा समर्थित निर्दलीय, जद (यू), जेवीएम और आप उम्मीदवारों ने कर दी है.
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प्रचार के लिए लिया जा रहा है सोशल मीडिया का सहारा

चुनाव में आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से पालन होने के कारण अबतक इस विधानसभा क्षेत्र में पोस्टर-पर्चे साटने, शहरों में विभिन्न स्थानों पर पार्टी का झंडा लगाने और ध्वनि विस्तारक यंत्रों की शोर मचाती चुनावी सरगर्मी में अपेक्षाकृत तेजी नहीं आयी है.
किन्तु सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों ने अपने चुनावी प्रचार का केन्द्र ग्रामीण इलाकों को ही बना लिया है. भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह, रांकापा के कमलेश कुमार सिंह, बसपा के शेर अली, आजसू के कुशवाहा शिवपूजन मेहता और राजद (महागठबंधन) के संजय कुमार सिंह यादव द्वारा गांव-गांव में घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर उन्हें अपनी ओर करने और रिझाने का कार्य काफी जोरों पर चल रहा है. साथ ही सोशल मीडिया के द्वारा भी प्रचार किया जा रहा है.
प्रत्याशियों से लिया जा रहा है कार्यों का हिसाब

जनसंपर्क के दौरान मतदाताओं द्वारा प्रत्याशियों से जनहित में किये गये कार्यों का हिसाब मांगा जा रहा है. इसमें सर्वाधिक फजीहत वर्तमान विधायक शिवपूजन मेहता और पूर्व मंत्री कमलेश सिंह को उठानी पड़ रही है.
जहां एक ओर मेहता को जनता से दूर रहने का खामियाजा उठाना पड़ रहा है तो दूसरी ओर पूर्व मंत्री से लोग सवाल कर रहे हैं कि अघोषित सीएम के पावर में थे तो हुसैनाबाद को जिला क्यों नहीं बनाया?
बहुकोणीय संघर्ष में ये हैं शामिल
उल्लेखनीय यह है कि बहुकोणीय संघर्ष में शामिल पांच प्रत्याशियों में से राजद के संजय कुमार सिंह यादव दो बार तथा राकांपा के कमलेश कुमार सिंह एक बार यहां के विधायक रह चुके हैं, जबकि कुशवाहा शिवपूजन मेहता निवर्तमान विधायक हैं.
इधर, भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी विनोद सिंह और बसपा के शेर अली पहली बार विधानसभा चुनाव के दंगल में शामिल हुए हैं.
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कई उम्मीदवार वोटकटवा, तो कई हैं डम्मी

हुसैनाबाद विधानसभा में हुसैनाबाद, हरिहरगंज, हैदरनगर, मोहम्मदगंज और पिपरा पांच प्रखंड हैं. इस क्षेत्र में कुल 19 प्रत्याशी चुनावी दंगल में हैं, किन्तु बसपा, रांकापा, आजसू, राजद और भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी को छोड़कर बाकि अन्य प्रत्याशियों की चर्चा वोटकटवा के रूप में हो रही है.
जबकि कई डम्मी प्रत्याशी भी हैं, जिनकी पहचान आम जनता को तो है, किन्तु प्रशासन को नहीं है.
इधर, झाविमो प्रत्याशी बीरेन्द्र कुमार वर्ष 2009 में आजसू प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें करीब 1900 वोट से ही संतोष करना पड़ा था और उनकी जमानत भी नहीं बच पायी थी.
पहली बार दो युवा समाजसेवी आप पार्टी से कन्हैया विश्वकर्मा उर्फ के विश्वा और जद (यू) से आदित्य चंदेल चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जो मुख्य मुकाबले से बाहर हैं.
सबके हैं अपने-अपने जीत के दावे

वैसे तो दलगत तथा निर्दलीय सभी उम्मीदवार अपने-अपने हिसाब से अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन चौक-चैराहों पर इस चर्चा का बाजार गर्म है कि बहुकोणीय संघर्ष में शामिल पांच प्रत्याशियों को छोड़कर अधिकांश प्रत्याशी मुकाबले से बाहर हैं, जो अपनी जमानत भी नहीं बचा पायेंगें.
जमानत बचाने के लिये कुल पड़े वैध वोटों का 6 प्रतिशत से एक वोट अधिक लाना अनिवार्य बताया गया है. बहरहाल, चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी से कहना मुश्किल है.
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