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सरकारी शराब सिंडिकेट पर मुख्य सचिव बोले, कैबिनेट के फैसले को कैबिनेट ही बदल सकता है, उत्पाद विभाग में क्या हो रहा है पूछेंगे ​​​​​​​

Akshay Kumar Jha

Ranchi: झारखंड के उत्पाद विभाग में कैबिनेट के फैसलों के पलट कर विभाग के स्तर पर लिए जाने वाले फैसलों पर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. कैबिनेट के फैसलों को बदलने के लिए प्रस्ताव कैबिनेट में आना चाहिए. तभी किसी प्रस्ताव को बदला जा सकता है. और भी दूसरे तरीके हैं कैबिनेट के फैसलों को बदलने का. लेकिन कोई विभाग कैबिनेट के फैसले के खिलाफ काम कर रहा रहा है तो उस विभाग से पूछा जाएगा, ऐसा क्यों हो रहा है. मुख्य सचिव ने न्यूज विंग से कहा कि आपके जरिए संज्ञान में बात आयी है. विभाग से पूछूंगा कि ऐसा क्यों हो रहा है. अगर कोई गड़बड़ी पायी जाती है तो आगे की कार्रवाई की जाएगी.

मुख्या सचिव श्री त्रिपाठी ने कहा कि अगर ऐसा कोई मामला आता है तो निश्चित तौर पर मीडिया को इसे लिखना चाहिए.  सरकार तक इसकी जानकारी पहुंचानी चाहिए. बताते चलें कि झारखंड उत्पाद विभाग ने ऐसे कई फैसले लिए हैं, जो कैबिनेट के फैसलों के विरुद्ध हैं. इस मामले पर न्यूज विंग लगातार सवाल खड़े कर रहा है. मुख्य सचिव के अलावा झारखंड के कई सीनियर आईएएस अधिकारियों से मामले पर बात की गयी. सभी ने कहा कि कैबिनेट के फैसलों को इस तरह से कोई विभाग नहीं बदल सकता. अगर ऐसा कोई करता है तो ये उच्च श्रेणी के कदाचार का मामला बनता है. 

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कैबिनेट ने जो नियम तय किया, उसे दरकिनार कर लिया शॉप सुपरवाइजर को हटाने का फैसला

सरकार की तरफ से जो गजट जारी हुआ, उसके कानूनों को बदला जा रहा है. गजट के नियमावली संख्या-23 में साफतौर से इस बात का उल्लेख है कि जेएसबीसीएल के खुदरा दुकानों में शराब की आपूर्ति के लिए दुकान पर्यवेक्षक (Shop Supervisor)  जिला उत्पाद कार्यालय में आवेदन देंगे. आवेदन के आधार पर अधीक्षक उत्पाद आयुक्त या सहायक उत्पाद परमिट निर्गत करेगा. परमिट के आधार पर शराब की आपूर्ति की जाएगी. इसका मतलब शॉप सुपरवाइजर जिस कंपनी की शराब और जितने मात्रा में निर्गत करने के लिए आवेदन देगा, उसी कंपनी की शराब और उतने ही मात्रा में निर्गत की जाएगी.

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नियमावली संख्या-28 में साफ लिखा है कि एक शॉप सुपरवाइजर 10-15 दुकानों का समूह बना कर उनके लिए काम करेगा. सभी शॉप सुपरवाइजर आर्मी से रिटायर्ड जेसीओ होंगे. अगर इनका काम संतोषजनक नहीं रहा तो, सहायक आयुक्त या अधीक्षक उत्पाद इन कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा जेएसबीसीएल से करेंगे. अनुशंसा पर जेएसबीसीएल को संज्ञान लेगा और प्रशासनिक कार्रवाई करेगा. लेकिन इस मामले में कैबिनेट के फैसले को दरकिनार कर शॉप सुपवाइजर के पद को ही खत्म कर दिया गया. 

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प्राइवेट आउटसोर्स करने वाली कंपनी को बनाया सर्वेसर्वा

जब शराब के धंधे का सरकारीकरण हो रहा था, तो दुकान में शराब को बेचने के लिए दो कंपनियों के साथ करार किया गया. फ्रंटलाइन और शोमुख. इनका काम सिर्फ दुकान में पड़े शराब को बेचना था और बिक्री का हिसाब सरकार को देना था. लेकिन धीरे-धीरे जेएसबीसीएल ने सारा पावर इन्हीं कंपनियों को दे दिया. अब ये दोनों कंपनियां शराब व्यवसाय की सर्वेसर्वा हैं.

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15 जनवरी 2018 को जीएम ऑपरेशन सुधीर कुमार की तरफ से कैबिनेट के फैसले को ताक पर रखते हुए  इससे संबंधित अलग से एक आदेश निकाला गया. इस आदेश में उन्होंने लिखा कि जेएसबीसीएल  के जीएम ऑपरेशन की अध्यक्षता में उपायुक्त उत्पाद, जीएम फाइनेंस, निगम कर्मी और मैनपावर सप्लायी करने वाली कंपनी के प्रतिनिधि के साथ हुई बैठक के बाद उच्च अधिकारियों के निर्देश के अनुसार खुदरा दुकानों में शराब आपूर्ति के लिए अब जिला स्तर पर प्राइवेट मैन पावर सप्लाई करने वाली कंपनी के मैनेजर आवेदन नहीं देंगे, बल्कि सीधा जेएसबीसीएल को अनुमोदन भेजा जाएगा. मुख्यालय ही परमिट देने के लिए डिपो और दुकान के स्टॉक की उपलब्धता देखकर जिला को निर्देश देगा. जिला उत्पाद कार्यालय अब सिर्फ शराब की मांग, जो जेएसबीसीएल की तरफ से भेजी जाएगी, उसे स्वीकृत करेगा. यह सभी प्रक्रिया 18जनवरी 2018 से शुरू होगी.

पपेट बन सिर्फ ओके बटन दबाएंगे सहायक आयुक्त

सारा पावर अपने हाथ में लेने के लिए जेएसबीसीएल ने एक सॉफ्टवेयर डेवलेप किया. जो 18.01.2018 से काम कर रहा है. इस सॉफ्टवेयर में के जरिए Indent Raise (शराब आपूर्ति) की औपचारिकता पूरी की जाने लगी. अब मैन पावर सप्लाई करने वाली प्राइवेट कंपनी जिस कंपनी की शराब जितनी मात्रा में आपूर्ति करने को कहती, वो सॉफ्टवेयर में फीड होता. सहमति के लिए जब इसे जिला सहायक आयुक्त भेजा जाना है. लेकिन इस सॉफ्टवेयर में जिला स्तर से कहीं भी Edit का ऑप्शन नहीं दिया गया. जिससे जिला स्तर से ब्रांड जोड़ा या घटाया जाए. सहायक आयुक्त अब चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते हैं. वो सिर्फ और सिर्फ OK का बटन दबाकर सहमति की औपचारिकता पूरी करते हैं. इस तरह से शराब की आपूर्ति का सारा पावर मैनपावर सप्लाई करने वाली प्राइवेट कंपनी के पास चला गया.

अब फ्रंटलाइन और शोमुख जिस कंपनी की शराब मार्केट में बेचना चाहते हैं, बिना किसी रोक-टोक के बेच रहे हैं. जेएसबीसीएल की तरफ से कंपनी को एक तरह से पूरी छूट मिली हुई है. ऐसा रांची उत्पाद मुख्यालय में कार्यरत कुछ अधिकारी के इशारे से हो रहा है.

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