
Umashankar Singh
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भारतीय समाज ने मोटे तौर पर जिस तरह रिएक्ट किया है वह बताता है कि एक समाज के रूप में हम किस तरह मेच्योर हो रहे हैं.
पिछले कुछ सालों में हमने इतनी जलालत और उस जलालत का रिजल्ट देखा है, लगता है समाज उससे सबक ले रहा है.
कुछ सिरफिरे कट्टरवादियों को छोड़े दें तो व्यापक हिंदू समाज इस फैसले का मुस्लिम समाज को चिढ़ाने के लिए उपयोग नहीं कर रहा है.
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ज्यादातर हिंदू जो खुश हैं वो जेन्युनली ये मानते हैं कि वो रामजन्मभूमि थी और वहां मंदिर बनना चाहिए. उनकी खुशी की वजह विशुद्ध धार्मिक है राजनीतिक नहीं और किसी धर्म के खिलाफ वो खुशी तो कतई नहीं है.
निर्णय पर व्यापक मुसिलम ‘समाज ठीक है. अच्छा हुआ. आगे बढ़ा जाये. अब असल मुद्दे पर राजनीति हो’ जैसी बात कर रहा है. बहुतेरे तो राम मंदिर निर्माण में सहयोग की बात भी कर रहे हैं.
फैसले से असंतुष्ट कुछ मुसलिम पैरोकार और इंडिविजुअल भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के सम्मान की बात कर रहे हैं. धार्मिक गोलबंदी करने में हमेशा भाजपा के मददगार रहे ओवैसी को छोड़ कर किसी ने उग्र प्रतिक्रिया नहीं दी है. भाजपा को उनसे और भी उम्मीदें हैं और उम्मीद है ओवैसी अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. ओवैसी की बात मुसलिम समाज कम सुनेगा लेकिन मीडिया उसे न केवल सुनेगा बल्कि हिंदू समाज को भी सुनाके अपने और अपने आका के मतलब साधेगा.
शहरों-गांवों में जीवन सामान्य है. धारा 144 लगने का हल्का फुल्का असर जरूर दिख रहा है. कुल मिला के दस बजे से पहले जो हल्का तनाव या अनहोनी की आशंका थी वो बिल्कुल निर्मूल निकली. कम से कम मुंबई और दोस्तों से बातचीत के आधर पर कुछ और शहरों के बारे में ये कह सही सकता हूं.
और आखिर में अगर ये फैसला एक बहुत लंबे और अनावश्यक रूप से तूल दिये और खींचे गये विवाद का पटाक्षेप साबित हो पाता है तो ये भारतीय समाज के लिए अच्छा ही होगा. सो आगे बढ़िये और गम भी हैं जमाने में अयोध्या के सिवा..
उमाशंकर सिंह की फेसबुक वाल से….
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