
Ranchi: कोरोना महामारी की तीसरी लहर भले ही दुनिया भर में एक बार फिर तबाही मचा रही है. इस बीच इस बीच, विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जैमे सावेदरा (Jaime Saavedra) ने कोरोना के चलते स्कूलों को बंद करने पर सवाल उठाया है उन्होंने कहा कि महामारी के चलते अब स्कूलों को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि भले ही महामारी की ये नई लहरें हों, लेकिन स्कूलों को बंद करना अंतिम उपाय नहीं होना चाहिए. विश्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार दुनिया के 57 देशों में स्कूल पूरी तरह बंद है जिसमें भारत भी एक है. वहीं 26 देशों में स्कूल सामान्य तरीके से चल रहे हैं.
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विश्व बैंक के शिक्षा निदेशक जैमे सावेदरा ने कहा, “स्कूल खोलने और कोरोना वायरस के फैलने के बीच कोई संबंध नहीं है. इन दोनों बातों को जोड़ने का कोई सबूत नहीं है और स्कूल को बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा, रेस्तरां, बार और शॉपिंग मॉल को खुला रखना और स्कूलों को बंद रखना, ये कोई मतलब नहीं है, यह कोई बहाना नहीं है.
उन्होंने कहा, “अगर स्कूल खोले जाते हैं, तो कोविड के कारण बच्चों के लिए स्वास्थ्य जोखिम कम है, लेकिन स्कूल बंद करने की लागत बहुत अधिक है. साथ ही कहा कि महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के कारण भारत में बच्चों के अंदर सीखने की कमी 55 से बढ़कर 70 प्रतिशत होने की उम्मीद है.
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2020 के दौर से हम अज्ञानता के सागर में जा रहे थे. हमें अभी नहीं मालूम कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सबसे अच्छा तरीका क्या है और दुनिया के ज्यादातर देशों ने तत्काल प्रक्रिया के तहत स्कूलों को बंद किया था. तब से अब तक काफी समय बीत चुका है. 2020 और 2021 को देखें, तो हमारे पास सबूत है कि कोरोना की कई लहरें आईं और ऐसे कई देश हैं जिन्होंने स्कूल खोला है.” सावेदरा ने यह बातें वाशिंगटन से एक साक्षात्कार में समाचार एजेंसी पीटीआइ के माध्यम से कहीं. जैमे सावेदरा पेरू (Perú) के शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं.