
Ranchi. झारखंड सरकार का खेल विभाग भारतीय खेल महासंघ को गंभीरता से नहीं लेता. रांची में बिरसा मुंडा फुटबाल स्टेडियम में इंटरनेशनल सिंथेटिक ट्रैक बिछाने का मामला इसी का एक शानदार सबूत है.
सात करोड़ से भी अधिक राशि से ट्रैक बिछाने के नाम पर अद्भुत तरीके से खेल हुआ. रांची डीडीसी ने पिछले साल ट्रैक बिछा लिये जाने की जानकारी विभाग को दी थी.
झारखंड में खेल संगठनों से जुड़े लोगों की आपत्ति पर खेल विभाग रेस हुआ है. अब इस ट्रैक को अपने हाथों लेने में विभाग का पसीना छूटता दिख रहा है.
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एनआरइपी ने जारी किया था टेंडर
ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल-2, (एनआरईपी-2) रांची ने 18 अक्टूबर, 2017 को वेबसाइट पर निविदा सूचना (NREP-2/RANCHI/01/2017-18 e-tender) प्रकाशित की.
ई-निविदा प्राप्ति की तिथि एवं समय सीमा 20 अक्टूबर से 30 अक्टूबर 2017 तक निर्धारित की गयी. 1 नवम्बर को इसे खोलने की जानकारी दी गयी.
टेंडर में जारी सूचना के अनुसार बिरसा मुंडा फ़ुटबाल मैदान, रांची में सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक लगाने हेतु 594,63,428.00 (पांच करोड़ तिरसठ लाख चार सौ अठाइस रुपये) और स्टेडियम के मैदान के जीर्णोद्धार हेतु 132,62,609.00 (एक करोड़ बत्तीस लाख बासठ हजार छह सौ नौ रुपये) की प्राक्कलित राशि (कुल 727,26,037.00) तय की गयी. इस कार्य के लिए छह माह की समय सीमा निर्धारित की गयी.
हैदराबाद की कंपनी को मिला कार्यादेश
एनआरइपी-2 द्वारा टेंडर के आलोक में ग्रेट स्पोर्ट्स इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद, तेलंगाना को कार्य आवंटित किया गया.
सिंथेटिक ट्रैक निर्माण के लिए उसके द्वारा 28 नवम्बर, 2017 को पत्र (पत्रांक 1588) जारी किया गया. इसके अनुसार संवेदक को आइएएएफ (भारतीय एथलेटिक महासंघ) के निर्धारित स्टैंडर्ड के अनुसार आठ लेन का 400 मीटर का सिंथेटिक ट्रैक बिछाने हेतु कार्य आरम्भ करने की औपचारिक स्वीकृति दी गयी.
मैदान के आउटफील्ड और ग्रास टेक्सचर का काम भी छह माह के अन्दर करने को कहा गया.
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आइएएएफ के मापदंडों की हुई उपेक्षा
देश में एथलेटिक्स खेलों की गतिविधियों और स्टेडियम निर्माण, ट्रैक बिछाने और अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर निगरानी में आइएएएफ के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है.
एनआरइपी-2 ने सिंथेटिक ट्रैक बिछाने के काम में संवेदक को जारी कार्यादेश पत्र में ही इसे लिखा पर अमल नहीं करा सका.
ट्रैक बिछा जाने की प्रक्रिया आरम्भ होने से लेकर इसे अंतिम रूप देने तक, कभी भी आइएएएफ या उसके आनुषांगिक झारखंड एथलेटिक महासंघ को कोई सूचना नहीं दी गयी. ना ही उनसे तकनीकी पदाधिकारियों की मांग की गयी.
जबकि ट्रैक पर मार्किंग करने, हर्डल लगाने, पोल वॉल्ट एरिया सुनिश्चित करने और अन्य जरूरी कार्यों में तकनीकी पदाधिकारी का होना वैधानिक रूप से अनिवार्य था.
सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण से पूर्व ही आइएएएफ के गाइडलाइन के विपरीत जाकर किसी अनधिकृत व्यक्ति से सर्टिफिकेशन भी ले लिया गया.
झारखण्ड एथलेटिक महासंघ की आपत्ति पर खेल विभाग हुआ सजग
स्टेडियम में ट्रैक लगाये जाने की सूचना रांची डीडीसी ने खेल विभाग, झारखंड सरकार को दी. इस बीच झारखंड एथलेटिक महासंघ ने ट्रैक निर्माण में हुई अनियमितता पर अपनी आपत्ति भी विभाग को दर्ज करा दी थी.
इस पत्र के आलोक में खेल निदेशक अनिल सिंह ने राज्य खेल समन्वयक उमाशंकर जायसवाल को नवंबर, 2019 में पत्र लिखकर जांच करने का निर्देश दिया था.
जायसवाल ने जांच कार्यों के बाद लिखा कि ट्रैक बिछाने का कार्य त्रुटिपूर्ण है. यह इंटरनेशनल तो क्या, किसी लोकल आयोजन के लिहाज से भी सुरक्षित नहीं.
विभाग अब ट्रैक निर्माण कार्यों की समीक्षा करने में जुट गया है. स्टेडियम को हैंडओवर लेने से पहले अपना बही खाता दुरुस्त करने में लगा है. संवेदक को अभी पूरा भुगतान नहीं किया गया है.
इधर खिलाड़ी तीन सालों से सिंथेटिक ट्रैक पर खेलने की आस लिये दिन गिन रहे हैं.
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