
Ranchi: झारखंड में हेमंत सरकार के सत्ता संभाले हुए करीब 276 दिन पूरे हो गये हैं. इसमें शुरुआत के एक महीने को छोड़ दे तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य में रोजगार सृजन को अपनी प्राथमिकता सूची में रखा है. कोरोना महामारी जैसी विपदा में जब अन्य राज्यों के दबे-कुचले व गरीब लोग, महिलाएं, एसटी-एससी सहित सभी वर्ग के लोग बेरोजगार हो रहे है, उस समय सीएम अपने प्रयासों से रोजगार सृजन की दिशा में काम कर रहे हैं.
अभी तक के उनके 276 दिनों के कार्यकाल में उन्होंने 10 ऐसी बड़ी पहल की है, जो सीधे तौर पर रोजगार से जुड़ी है. इसमें कई योजनाओं और अभियान को शुरू करना शामिल है.
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चुनावी वादे में था रोजगार सृजन
हेमंत सोरेन के रोजगार सृजन के प्रयासों का एक प्रमुख कारण उनके पार्टी का चुनावी वादा है. उन्होंने कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई, तो हर झारखंडी को उनकी योग्यता के अनुसार काम मिलेगा. इस दिशा में उनकी सरकार कोई भी समझौता नहीं करेगी.
बता दें कि इस लॉकडाउन के दौरान कई उद्योग-धंधे बंद हो गए हैं, जिस वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक झारखंड लौट आए हैं. ऐसे में उन श्रमिकों के सामने अब राज्य में जीवनयापन करने के लिए रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई है.
ग्रामीण, शहरी समेत प्रवासी मजदूरों के लिए तीन योजनाओं की शुरूआत
बीते 3 मई को सीएम सोरेन ने “बिरसा हरित ग्राम योजना”, “नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना” और “पोटो हो खेल विकास योजना” की शुरूआत की. सीएम का मानना है कि इन योजनाओं से राज्य के ग्रामीण, किसान व खेल के प्रति समर्पित युवाओं को रोजगार मिलेगा. तीनों योजना के माध्यम से 25 करोड़ लोगों के लिए रोजगार सृजन होने की संभावना जतायी गयी है.
शहरी श्रमिकों को 100 दिन की रोजगार गारंटी
बीते 14 अगस्त को हेमंत सोरेन ने शहरी श्रमिकों के लिए “मुख्यमंत्री श्रमिक योजना” की शुरुआत की. इसमें शहरी अकुशल श्रमिकों को एक वित्त वर्ष में 100 दिन रोजगार की गारंटी दी जाएगी. सीएम का कहना है कि रजिस्ट्रेशन के 15 दिन में यदि रोजगार नहीं मिला तो श्रमिकों को बेरोजगारी भत्ता मिलेगा. योजना से गरीबी रेखा के नीचे जी रहे शहरी जनसंख्या के करीब 31 प्रतिशत (करीब 5 लाख से अधिक परिवारों) लोगों को लाभ देने का लक्ष्य है.
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25 करोड़ रुपए तक के कार्य सिर्फ स्थानीय ठेकेदार को
स्थानीयों को रोजगार देने की दिशा में बड़ी पहल हेमंत सोरेन ने जुलाई में की, जब भवन निर्माण विभाग में 25 करोड़ रुपए तक के कार्य सिर्फ स्थानीय ठेकेदार को देना का निर्णय हुआ. जानकारों की मानें, तो यह नई व्यवस्था लागू करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य होगा. सीएम का कहना है कि निर्माण कार्य के लिए निकलने वाले टेंडर में स्थानीय निवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करना और उन्हें रोजगार के उचित अवसर देना ही इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है.
3 योजनाओं से 17 लाख ग्रामीण महिलाओं के लिए रोजगार की व्यवस्था
बीते बुधवार को सीएम हेमंत सोरेन ने रोजगार सृजन की दिशा में तीन महत्वपूर्ण योजनाओं की शुरूआत की. तीनों अभियान ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत संचालित हैं.
- आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (ASHA) के जरिए 17 लाख ग्रामीण महिलाओं को आजीविका के सशक्त साधनों से जोड़ा जाएगा. कृषि, पशुपालन, वन-उपज संग्रहण एवं प्रसंस्करण के अलावा कई साधनों को इससे जोड़ा जायेगा, जिससे ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार मिलेगा.
- फुलो झानो आशीर्वाद योजना के तहत हड़िया-दारु के निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को चिन्हित कर सम्मानजनक आजीविका उपलब्ध करायी जाएगी.
- सखी मंडल की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को “पलाश ब्रांड” के तहत बाजार से जोड़ा जाएगा. निर्मित उत्पादों को अच्छी पैकेजिंग, ब्राण्डिंग के साथ बेचने से इनके आय में बढ़ोतरी होगी.
ग्रामीण महिलाओं के रोजगार सृजन के लिए सीएम की बड़ी पहल
पूरे लॉकडाउन के दौरान शहरी और ग्रामीण महिलाएं बेरोजगार नहीं रहे और उन्हें स्वावलंबी, सशक्त और आजीविका से जोड़ने की दिशा में हेमंत सरकार ने कई बड़ी पहल की.
- बीते 15 जून को सीएम ने राज्य 50,000 सखी मंडलों को चक्रीय निधि के रूप में 75 करोड़ रुपये की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की. इसमें हर सखी मंडल को 15,000-15,000 रुपये अनुदान के रूप मिलेंगे. इससे सखी मंडलों से जुड़े करीब 6 लाख ग्रामीण महिला परिवारों को लाभ मिलेगा. इससे उन्हें आजीविका को सशक्त करने का मौका मिलेगा.
- मुख्यमंत्री दीदी किचन, मुख्यमंत्री दाल-भात केन्द्र, विशेष दाल-भात केन्द्र में खाना बनाने का सारा जिम्मा सखी मंडल की महिलाओं को मिला, ताकि वे इस विपदा में भी रोजगारविहीन नहीं हो.
- इसी तरह कोरोना लड़ने के लिए मास्क और सैनेटाइजर बनाने का काम भी सखी मंडल को दिया गया.
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