
Ranchi: राज्य में टीबी से मुक्ति और इलाज के लिए सालाना लगभग 30 करोड़ के बजट का प्रावधान है. साल 2019-20 के लिए केंद्र के मद से 28 करोड़ अलॉटेड थे.
2018-19 के लिए केंद्र और राज्य का अंश को मिलाकर 37 करोड़ रुपये का बजट था, बावजूद इसके राज्य में टीबी के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
इसे भी पढ़ेंः#Bomb_Blast: लखनऊ के वजीरगंज कोर्ट में धमाका, तीन जिंदा बम भी बरामद
टीबी के मरीजों की संख्या 56161 हो चुकी है. पांच साल में कुल 21522 टीबी के नये मरीज पाये गये हैं. राज्य के टीबी सेल के जिम्मे टीबी की रोकथाम है, लेकिन जमीन पर कोशिश दिखाई नहीं दे रही. टीबी को लेकर विज्ञापन ही आते हैं, लेकिन घर-घर जागरुकता बढ़ाने में स्टेट टीबी सेल लगभग नाकाम ही है.
इस साल 5 हजार नये केस
पिछले साल के मुकाबले भी इस साल पांच हजार मरीज बढ़ गये हैं. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि यह फंड काफी कम होता है, जिससे काम करने में काफी परेशानी होती है. जितने का बजट होता है उसे 27 विभिन्न मदों में बांट दिया जाता है.
टीबी (माइक्रोबैक्टीरियम ट्युबरक्लोसिस) के मरीजों के इलाज के लिये केंद्र और राज्य सरकार की ओर से फंडिग की जाती है. इसमें राज्य सरकार 40 प्रतिशत और केंद्र सरकार 60 प्रतिशत की राशि देती है.
लेकिन पिछले दो सालों से केंद्र और राज्य की ओर से मिलने वाले फंड में कमी आयी है. साल 2019-20 के बजटीय प्रावधान का जिक्र करें तो इस साल के लिये राज्य सरकार की ओर से 28 करोड़ रूपये राज्य टीबी सेल को दिये गये.
जबकि राज्य सरकार की ओर से जो राशि आवंटित की गयी है, वो 27 मदों में बांटी जाती है. सहिया बहनों के लिये तीन करोड़ 98 लाख, निक्षय पोषण योजना के तहत नोटिफिकेशन, केमिस्ट, ड्रग्स्टि के लिये दो करोड़ 50 लाख और पोषाहार सहयोग के लिये 18 करोड़ 80 लाख का प्रावधान है.
इसी तरह अन्य मदों पर भी राशि आवंटित की गयी. अधिकारियों का कहना है कि फंड काफी सीमित होता है. कई मदों मे बंट जाने के कारण योजनाओं पर सही से काम नहीं हो पाता.
इसे भी पढ़ेंःदो साल बाद पूरा हुआ सोलर स्ट्रीट लाइट का टेंडर, 2018 से रुकी थी प्रक्रिया
16012 मरीजों के बैंक खाता होने के बाद भी नहीं मिल पाती सहयोग राशि
गौरतलब है कि राज्य के जनजातिय जिलों में रहने वाले मरीजों को इलाज के लिये 750 रूपये सहयोग राशि दी जाती है. साल 2017 के पहले यह राशि इलाज के बाद दी जाती थी, लेकिन 2017 से सहायता राशि मरीज में टीबी पाये जाने के बाद से ही मिल रही है.
2017 से 2019 तक 14 जनजातिय जिलों में 23,539 मरीज टीबी के मिले हैं, इसमें से 16012 मरीजों के पास बैंक खाता था. लेकिन बैंक खाता धारकों में से मात्र 8165 मरीजों को ही सहयोग राशि मिल पायी. टीबी सेल के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई मरीज बैंक खाता ही सही नहीं देते, जनजातीय क्षेत्र होने के कारण जागरूकता कम है.
जनजातीय जिलों के लिये जो राशि आवंटित की जाती है. इसी से सहयोग राशि और निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह मिलने वाली 500 रूपये भी देने हैं. जो काफी मुश्किल है. राज्य के 24 जिलों में से 14 जनजातिय जिले हैं.
इसे भी पढ़ेंःरिश्तों का कत्ल! बेरमो में एक पिता ने की दो बच्चियों की हत्या, पारिवारिक कलह बना कारण