
Ranchi : 2019 का लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, पार्टियों में टिकट की दावेदारी को लेकर कई नेताओं ने अपने समर्थकों द्वारा एक-दूसरे को नीचा दिखाने का भरसक प्रयास सोशल मीडिया के माध्यम से शुरू कर दिया है. महागठबंधन की उम्मीद में कांग्रेस ने अपने संभावित प्रत्याशी की स्क्रीनिंग शुरू की, जिसमें पांच लोकसभा सीटों से संभावित प्रत्याशियों की चर्चा है. पार्टी सूत्रों के अनुसार कई सीटों पर उम्मीदवारों का चयन अंतिम चरण में है, उसके अनुसार डॉ अजय कुमार जमशेदपुर, रांची से पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय, खूंटी से प्रदीप बलमुचू, लोहरदगा से रामेश्वर उरांव और धनबाद से ददई दुबे का नाम सामने आ रहा है. कांग्रेस महागठबंधन की धार में अपनी नैया पार करने की जुगाड़ में लगी है. वहीं, पार्टी गोड्डा और हजारीबाग लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों के नाम की चर्चा से डरी नजर आ रही है. जहां कांग्रेस गोड्डा सीट पर फुरकान अंसारी को मनाने में कांग्रेस को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, हजारीबाग सीट पर मनोज कुमार यादव बरही विधायक, बड़कागांव के पूर्व विधायक योगेंद्र साव एवं कांग्रेस नेता गोपाल साहू ने टिकट के लिए लामबंदी शुरू कर दी है.
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जमशेदपुर सीट पर चुनाव लड़ने से बचना चहते हैं डॉ अजय कुमार
सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार जमशेदपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से बचना चाहते हैं. एक तो उन पर दलबदलू होने का मामला और दूसरा भाजपा की शहरी मतदाताओं में पकड़ उनके लिए सर दर्द बने हुए हैं. ऐसे में हो सकता है कि डॉ अजय कुमार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ें. सूत्रों के मुताबिक डॉ अजय कुमार झारखंड की राजनीति में बने रहना चाहते हैं, इसलिए विधानसभा की सीट तलाश रहे हैं, जहां अगर गठबंधन की सरकार बनती है, तो पार्टी की ओर से उपमुख्यमंत्री के रूप में सामने आयेंगे.
धनबाद में सोशल मीडिया बना कांग्रेस के लिए सिर दर्द
कांग्रेस धनबाद लोकसभा सीट को गठबंधन के भरोसे पार करना चाहती है. वर्तमान राजनीतिक चहलकदमी के अनुसार धनबाद लोकसभा पर उम्मीदवारी को लेकर ददई दुबे आगे चल रहे हैं. धनबाद के पूर्व सांसद भी रह चुके हैं. वहीं, सोशल मीडिया के माध्यम से कांग्रेस सोशल मीडिया प्रभारी मयूर शेखर झा ने भी झकझूमर करना शुरू कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ताओं का एक गुट सोशल मीडिया में ददई दुबे, मन्नान मलिक, अजय दुबे, राजेंद्र सिंह पर छींटाकशी करते हुए मयूर शेखर झा की दावेदारी कर रहे हैं. चर्चा यह भी है कि अगर मयूर को धनबाद सीट से टिकट नहीं मिला, तो वह झाडू छाप पार्टी से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, आप के झारखंड संयोजक के अनुसार लोकसभा में पार्टी चुनाव लड़ेगी, यह तय नहीं किया गया है, लेकिन विधानसभा की सभी सीटों पर आप चुनाव लड़ेगी, यह पार्टी ने तय कर लिया है. वहीं कांग्रेस पार्टी के पुराने कार्यकता, जो मयूर शेखर झा के लिए सोशल मीडिया में लॉबीइंग कर रहे हैं, कहते हैं कि वह कांग्रेस में रहकर भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं.
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खूंटी लोकसभा सीट : राजनीतिक पंडित चुनाव पूर्व ही मान रहे कांग्रेस की हार
अगर गठबंधन बनता है, तो खूंटी लोकसभा सीट कांग्रेस के हिस्से में जायेगी. ऐसे में जेएमएम के तोरपा विधायक पौलुस सुरीन खूंटी सीट पर ताल ठोक रहे हैं. वह कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे. सूत्रों के मुताबिक, जेएमएम अगर गठबंधन में शमिल नहीं होता है, जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में हो रही है, तो पौलुस कांग्रेस की जीत की राह मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन कर देंगे. सूत्रों के अनुसार पौलुस खूंटी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे ही, चाहे पार्टी से या बागी बनकर, यह तय माना जा रहा है. हाल के दिनों में जेएमएम की यात्रा, जिसमें हेमंत सोरेन भी रहे, कई राजनीतिक संदेश दे रही है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र में प्रदीप बलमुचू की चहलकदमी भी कांग्रेस के चुनाव लड़ने का संकेत देता है. कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में प्रदीप का नाम सामने आते ही स्थानीय लोग मान रहे हैं कि मुंडा बहुल क्षेत्र से प्रदीप सीट नहीं निकाल सकते. यह कयास गांव स्तर पर भी लगाया जा रहा है, जिसका लाभ झारखंड मुक्ति मोर्चा के तोरपा विधायक उठाना चाहते हैं.
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हजारीबाग लोकसभा सीट कांग्रेस के लिए बनी गले का कांटा
महागठबंधन में लेफ्ट पार्टियां दरकिनर होती दिख रही हैं. वहीं, गठबंधन की स्थिति में हजारीबाग लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में जाती दिख रही है. पार्टी के अंदर उम्मीदवरी की होड़ पार्टी के लिए सिरदर्द बनी हुई है. कांग्रेस के भीतर तीन दावेदारों के नाम आ रहे हैं, जो अपनी उम्मीदवारी को लेकर पार्टी पर दबाव बना रहे हैं. बरही विधायक मनोज कुमार यादव एवं बड़कागांव के पूर्व विधायक योगेंद्र साव ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. वहीं, आलाकमान पर अपना प्रभाव जमाने के लिए गोपाल साहू के भी रेस में शामिल होने की सूचना मिल रही है. गोपाल साहू कांग्रेस अध्यक्ष के माध्यम से दावेदारी करने की कोशिश में हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए हजारीबाग सीट गले का कांटा बनती दिख रही है.