
Ranchi: पार्टी और सरकार में फर्क होता है. सरकार के काम करने की कार्यशैली अलग होती है और पार्टी की तरीका अलग होता है. अगर सरकार पार्टी पर हावी हो जाये और सभी मूकदर्शक बने रहें, तो राजनीतिक पंडित इसे पार्टी का बेड़ा गर्क होना कहते हैं. फिलवक्त झारखंड की राजनीति में कुछ ऐसा ही हो रहा है. जिसके गवाह पार्टी के वो सभी पदाधिकारी हैं, जो 15 सितंबर को बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक में मौजूद थे. ऐसा और कोई नहीं बल्कि बीजेपी के कद्दावर नेता और सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय कह रहे हैं. भले ही उनका कहने का तरीका अलग है. खुल कर अपनी बात सबके सामने नहीं कह पा रहे हों, लेकिन झारखंड में बीजेपी की स्थिति को देखते हुए उन्होंने चिंता जाहिर की है. विभागों की अनियमितता पर तो वे चिट्ठी सीधे मुख्यमंत्री को लिख दिया करते हैं. लेकिन बात पार्टी की है, इसलिए उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल का सहारा लिया है.
प्रशंसा और चापलूसी के बीच महीन अंतर है.सार्वजनिक अभिव्यक्ति के समय इसका ध्यान नही रखनेवाले हँसी का पात्र बनते हैं,अपनी पद-प्रतिष्ठा धूमिल करते हैं.लाभ,लोभ,भय,आतंक के कारण हुई चापलूसी वाले लमहे समाज और संगठन मे ग़लत संस्कार डालते है जिसका कुपरिणाम पीढीयों को भुगतना पड़ता है.
— Saryu Roy (@roysaryu) September 20, 2018
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कुपरिणाम पीढियों को भुगतना पड़ता है…
सरयू राय ने 20 सितंबर को पहला ट्विट किया. उन्होंने किसी का नाम न लेते हुए कार्यसमिति की बैठक पर अपना गुस्सा जाहिर किया. उन्होंने लिखा कि “प्रशंसा और चापलूसी के बीच महीन अंतर है. सार्वजनिक अभिव्यक्ति के समय इसका ध्यान नहीं रखनेवाले हंसी का पात्र बनते हैं, अपनी पद-प्रतिष्ठा धूमिल करते हैं. लाभ, लोभ, भय, आतंक के कारण हुई चापलूसी वाले लमहे समाज और संगठन मे गलत संस्कार डालते हैं, जिसका कुपरिणाम पीढ़ियों को भुगतना पड़ता है.” इस ट्विट में उन्होंने साफ कहा है कि कार्यसमिति की बैठक में जिस तरीके से प्रोटोकॉल कम और चापलूसी ज्यादा दिखी, वो पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं. जिस तरीके से कार्यसमिति की बैठक में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को साइड करते हुए अनौपचारिक तरीके से प्रदेश अध्यक्ष के बदले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अध्यक्षता की, उससे सरयू राय खासे नाराज हैं. पार्टी के कुछ ऊंचे पदाधिकारियों का कहना है कि सरयू राय ने कुछ लोगों को फोन कर ऐसे मामले में चुप रहने पर डांट भी लगायी.
चापलूसी बड़े-बड़ों का बेड़ा गर्क कर देती है. इसके साथ खामख्याली जुड़ जाय तो मानो करेला नीम चढ़ा.इस मामले में चापलूसी करने वाले जितना दोषी हैं उससे बहुत अधिक ज़िम्मेदार चापलूसी सुनने और सहने वाले और खामख्याली मे मस्त रहने वाले हैं.यह हम,आप,ये वो सभी के लिये उतना ही सही है.
— Saryu Roy (@roysaryu) September 20, 2018
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चापलूसी बड़े-बड़ों का बेड़ा गर्क कर देती है…
कार्यसमिति की बैठक में जिस तरीके से आशा लकड़ा को सीएम चुप करा देते हैं और पार्टी में आये नये पदाधिकारी को किसी खास मुद्दे पर भाषण देने को कहते हैं, उस पर सरयू राय ने अप्रत्यक्ष रूप से नाराजगी जतायी है. उन्होंने 20 सितंबर को अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि “चापलूसी बड़े-बड़ों का बेड़ा गर्क कर देती है. इसके साथ खामख्याली जुड़ जाये तो मानो करेला नीम चढ़ा. इस मामले में चापलूसी करने वाले जितना दोषी हैं, उससे बहुत अधिक जिम्मेदार चापलूसी सुनने और सहने वाले और खामख्याली मे मस्त रहने वाले हैं. यह हम, आप, ये, वो सभी के लिए उतना ही सही है.”
न्यूज विंग ने कार्यसमिति की बैठक को प्रमुखता से छापा था
15 सितंबर को बीजेपी झारखंड कार्यसमिति की बैठक राजधानी रांची के डिबडीह स्थित कार्निवल बैंक्वेट हॉल में आयोजित की गयी थी. प्रदेश के पदाधिकारी और कार्यसमिति के पदाधिकारी बैठक में हिस्सा लेने आये थे. लेकिन वहां दो घंटे के अंदर जो हुआ, वो बीजेपी के लोगों के बीच एक गॉसिप का इश्यू हो गया है. वहां मौजूद कुछ पदाधिकारियों का कहना है कि ऐसा करने से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है. इस खबर को न्यूज विंग ने “BJP कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष और आशा लकड़ा से ज्यादा तरजीह मिस्फिका को” शीर्षक से छापा था.