
Akshay/Chhaya
Ranchi/Tenughat: झारखंड राज्य की एकमात्र थर्मल पावर प्लांट टीटीपीएस (तेनूघाट थर्मल पावर स्टेशन) साजिश का शिकार हो रही है. इसके पीछे की वजह बिजली बोर्ड के वरीय अधिकारियों की कमिश्नखोरी बतायी जा रही है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पिछले साल नवंबर में टीटीपीएस प्रबंधन की ओर एक पत्र भी जारी किया गया. जिसमें कहा गया कि टीटीपीएस की दोनों यूनिट से 290 मेगावाट तक ही बिजली उत्पादन किया जाए.
जबकि प्लांट से 390 मेगावाट तक बिजली उत्पादन आसानी से किया जा सकता है. बता दें कि दोनों यूनिट की कुल क्षमता 420 मेगावाट है. इसके बावजूद प्रबंधन ने कम उत्पादन करने का फरमान दिया. टीटीपीएस से बिजली उत्पादन कम होने पर राज्य सरकार प्राइवेट कंपनियों से बिजली खरीद रही है. जिसके लिये सरकार या वितरण निगम को परचेजिंग कॉस्ट देना होता है.
जाहिर तौर पर इस खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में अधिकारियों को टेबल के नीचे वाला मुनाफा मिलता है. क्योंकि टीटीपीएस से बिजली आपूर्ति होने पर अधिकारी लाभ से वंचित होते हैं. निजी कंपनियों से बोर्ड बिजली खरीदने पर खर्च तो कर देती है, लेकिन टीटीपीएस प्लांट के मेंटनेंस पर खर्च करने से बोर्ड को गुरेज है.
घाटा में साबित करने की हो रही साजिश
टीटीपीएस प्रबंधन की ओर से पिछले साल नंवबर में भी जो पत्र जारी किया गया. उसमें भी मेंटेनेस की कमी का हवाला देते हुए उत्पादन कम करने कहा गया. प्लांट की क्षमता के अनुसार, 75 फीसदी बिजली उत्पादन किया जाना चाहिये. 420 मेगावाट क्षमता के अनुसार, 75 फीसदी 350 मेगावाट होगा. जबकि वर्तमान में 290 मेगावाट से भी कम बिजली का उत्पादन होता है.
ऐसे में टीटीपीएस को राज्य सरकार आसानी से घाटा में साबित करते हुए बंद कर सकती है. राज्य में निजी कंपनियों से बिजली खरीद बढ़ जायेगी. जेबीवीएनएल डीवीसी, इंलैड, आधुनिक पावर समेत सभी कंपनियों से लगभग 500 करोड़ की बिजली खरीदती है. इसमें से सिर्फ 250 से 300 करेाड़ की बिजली डीवीसी से ली जाती है.
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जबकि 15 से 20 दिनों तक अगर टीटीपीएस से बिजली उत्पादन रोक, मेंटेनेस वर्क किया गया, तो बिजली खरीद में राहत मिल सकती है. टीटीपीएस की सालाना उत्पादन की रिपोर्ट राज्य सरकार को दी जाती है. ऐसे में उत्पादन क्षमता का 75 फीसदी उत्पादन नहीं होने पर, सरकार प्लांट को अंडर परफॉर्मर मानते हुए बंद कर सकती है. टीटीपीएस प्रबंधन ने प्लांट में बिना किसी तकनीकी खराबी के ही उत्पादन कम करने का आदेश दिया.
बिजली खरीद का धंधा हो रहा गंदा
राज्य में बिजली वितरण जेबीवीएनएल करती है. कंपनियों के जेनरेशन से लेकर वितरण तक में जेबीवीएनएल की भूमिका अहम होती है. जेबीवीएनएल सरकारी और निजी कंपनियों से बिजली खरीद कर आम उपभोक्ता तक पहुंचाती है.
टीटीपीएस से बिजली उत्पादन कम होने पर जेबीवीएनएल निजी कंपनियों से बिजली खरीदती है. जेबीवीएनएल को बिजली देने के लिये निजी कंपनियों की होड़ लगी हुई है. निजी कंपनियों से बिजली खरीद पर जेबीवीएनएल परचेजिंग कॉस्ट तो देती ही है.
जाहिर तौर पर बिजली खरीदने की प्रक्रिया में अधिकारियों को अलग से मुनाफा होता है. टीटीपीएस अगर, उत्पादन ठीक कर लें तो अधिकारियों को इसका लाभ नहीं मिल पायेगा. बता दें डीवीसी और एनटीपीसी जैसे केंद्र सरकार के उपक्रम से भी बिजली ली जाती है. जो सेंट्रल पूल के जरिये वितरण की जाती है.
किन-किन निजी कंपनियों से ली जा रही बिजली
फिलहाल जेबीवीएनएल इंलैंड पावर, आधुनिक पावर, पीटीसी से बिजली लेती है. आधुनिक पावर की जमशेदपुर में दो यूनिट है. दोनों की क्षमता 270 मेगावाट है. जबकि हर दिन बिजली उत्पादन एक यूनिट से लगभग 189 मेगावाट की जाती है.
जेबीवीएनएल ने आधुनिक पावर से एग्रीमेंट किया है. जिसका परचेसिंग कॉस्ट 3.10 पैसा है. इंलैंड पावर के लिये साल 2012 में दस साल के लिये एग्रीमेंट किया गया. एक ही यूनिट है. जिसकी क्षमता 63 मेगावाट है.
प्रतिदिन लगभग 40 मेगावाट तक उत्पादन होता है. इसका परचेजिंग कॉस्ट चार रूपये है. पीटीसी से सौ मेगावाट उत्पादन क्षमता है. वहीं डीवीसी से 4.59 रूपये में बिजली खरीदी जाती है. राज्य में प्रतिदिन की मांग 1200 मेगावाट है. जबकि पिक आवर में यह 1600 से 1800 मेगावाट रहती है.
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