
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल हालात बहुत ही संवेदनशील है. और हालात को सामान्य करने के लिए सरकार को समय मिलना चाहिये.
राज्य में लगी पाबंदियों को खत्म करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि रातों-रात चीजें नहीं बदल सकती, इसलिए पाबंदियों को हटाने के लिए कोई आदेश नहीं दिया जायेगा. मामले की सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी गयी है.
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साथ ही उच्चतम न्यायालय ने ‘कश्मीर टाइम्स’ के संपादक से, मीडिया पर लगी पाबंदियों को हटाने की मांग करने वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए रजिस्ट्रार को ज्ञापन देने को कहा.




वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र ने न्यायालय को बताया कि जम्मू कश्मीर की स्थिति की रोजाना हालात समीक्षा की जा रही है. अटॉर्नी जनरल ने आतंकवादी बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद कश्मीर में जुलाई 2016 में हुए विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए न्यायालय को बताया कि स्थिति को सामान्य होने में 3 महीने का समय लगा था, ऐसे में सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हो जाएं.
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था बनी रहे.
‘सरकार पर भरोसा करना होगा’
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद घाटी में अभी भी धारा 144 लागू है. मोबाइल फोन, इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी है, जिसे हटाने की अपील याचिकाकर्ता ने की थी.
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जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने हस्ताक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में हालात संवेदनशील है. और स्थिति को सामान्य करने के लिए सरकार को समुचित समय देने की जरुरत है.
हालांकि, जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध हटाने की मांग वाली एक याचिका पर जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में और कितने दिनों तक पाबंदियां बरकरार रहेंगी. जिसपर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पल-पल के हालात पर सरकार की नजर है.
शीर्ष अदालत ने फिलहाल मामले को दो हफ्ते के लिए टाल दिया है. साथ ही कोर्ट ने अपील पर यह भी कहा कि अगर स्थितियां सामान्य नहीं होती हैं तो आप बाद में इस मामले को फिर हमारे सामने लेकर आएं और हम उस वक्त इस मामले को देखेंगे.
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