
New Delhi: विदेशी विश्वविद्यालयों की डिग्री के लिए भारतीय विद्य़ार्थियों को अब विदेश जाने की जरुरत नहीं रह जाएगी. देश में रहकर ही दूसरे देशों के शीर्ष विश्वविद्यालयों की डिग्री हासिल कर सकेंगे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बनाने के लिए प्रस्तावित नियमों को मंजूरी दी है. इसके तहत देश का कोई भी शीर्ष विश्वविद्यालय अब दुनिया के किसी भी शीर्ष विश्वविद्यालय के साथ मिलकर साझा कोर्स शुरू कर सकेगा. इसके लिए पहले दोनों विश्वविद्यालयों को एमओयू पर हस्ताक्षर करना होगा और संचालित होने वाले कोर्स की जानकारी यूजीसी को देनी होगी.
यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने बताया कि इसकी सिफारिश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी की गई है. इस नियम के तहत विदेशी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारतीय विश्वविद्यालय तीन तरह से प्रोग्राम संचालित कर सकेंगे. यह साझा कार्यक्रम होगा. इसमें दोनों संस्थानों के बीच एक ऐसा अनुबंध होगा, जिसमें किसी भी संस्थान में पढ़ने वाला छात्र बीच में कभी भी किसी कोर्स की पढ़ाई किसी भी संस्थान में जाकर कर सकेगा. इस दौरान दोनों संस्थान कोर्स क्रेडिट एक दूसरे के साथ साझा करेंगे और मान्यता भी देंगे. हालांकि, इसमें डिग्री उसी संस्थान की मिलेगी, जहां दाखिला लिया गया होगा.
जगदीश कुमार के अनुसार इस नियम का दूसरा अहम कदम ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम है. इसमें कोई भी शीर्ष भारतीय विश्वविद्यालय किसी भी विदेशी विश्वविद्यालय के साथ ज्वाइंट कोर्स को संचालित कर सकेगा. इसके लिए दोनों संस्थानों को पहले एक एमओयू करना होगा। इसके तहत कोर्स के 30 प्रतिशत हिस्से की पढ़ाई विदेशी विश्वविद्यालयों में होगी.

