
Chaibasa : झींकपानी प्रखंड के इंदिरा कॉलोनी रविन्द्र बाल शिक्षा केन्द्र असुरा में सेयां सगेन लाइब्रेरी के उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड लोकायुक्त के सचिव सचिन्द्र बिरुवा ने किया. मौके पर उन्होंने कहा कि बच्चों को सही संस्कार देकर पढ़ाई के लिए प्रेरित करना माता-पिता का परम कर्तव्य है. माता-पिता भी नशा के आदी नहीं बने, तब ही वे बच्चों की देखभाल और पढ़ाई का महत्व समझ सकेंगे. पढ़ लिखकर समाज से डायन का भय भी दूर करना होगा. विशिष्ट अतिथि झींकपानी प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रभात रंजन चौधरी ने कहा कि आदिवासी समाज में जयपाल सिंह मुंडा, डॉ रामदयाल मुंडा, डॉ देवेन्द्र नाथ सिंकू, डॉ कार्तिक उरांव मौजूद थे. डुमरिया के बीडीओ साधुचरण देवगम, एकीकृत बिहार के तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष देवेन्द्र नाथ चांपिया, समारोह को कोल्हान के लाइब्रेरीमैन संजय कच्छप, जोहार के रमेश जेराई, केन्द्रीय विद्यालय बोकारो के प्रधानाध्यापक कृष्णा चातर, विमल किशोर बोयपाई, ऑल कोल्हान आदिवासी शिक्षक समिति (अकास), बैंककर्मी जयराम बारी ने ऑल इंडिया बैंकर्स एसोसिएशन एवं बीडीओ साधुचरण देवगम ने ग्रामीण पुस्तकालय अभियान दल की ओर से व चाईबासा के समाजसेवी विकास दोदराजका ने लाइब्रेरी के लिए उपयोगी पुस्तकें दान किया. समारोह में अब्बुसल, जमशेदपुर के बोंजो सिंह बानरा, विनय मिंज और नीला काइका ने जन जागृति पर आधारित लघु नाटिका प्रस्तुत किया. वहीं लिपिका गोप, होलिका बानरा, नीला काइका, नाइसिल काइका, मेरी जोजो एवं साथियों ने मनमोहक नृत्य पेश किया. कार्यक्रम में डुमरिया बीडीओ साधुचरण देवगम ने अपने गुरु सेवा निवृत्त शिक्षक सुरजा बुड़ीउली का उपहार देकर सम्मानित किया. पुलिस सार्जेंट मेजर रांधो देवगम, तुरतुंग मरसल ट्रस्ट असुरा, अध्यक्ष सुरजा बुड़ीउली, निदेशक सिकंदर बुड़ीउली आदि मौजूद थे.
मौके पर ये थे मौजूद
मौके पर कृषि विज्ञान केन्द्र, जगन्नाथपुर के अप्रैल तियू, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सहायक प्रोफेसर दिलदार पूर्ति, टाटा कॉलेज, चाईबासा प्रोफेसर रिंकी दोराईबुरु देवगम, डॉ दुलमु बिरुली, बैंककर्मी दुंबी दिग्गी, सुखदेव बारी, वासुदेव लागुरी, विजय पूर्ति, जगन्नाथ हेस्सा, जयराम हेस्सा, साहित्यकार सोनू हेस्सा, हरिचरण खंडाइत, हरिचरण लागुरी, पूनम अग्रवाल, दामु सुंडी, सुखलाल पूर्ति, विजय लक्ष्मी सिंकू मौजूद थे. मंच संचालन शिक्षक कृष्णा देवगम और साहित्यकार सह सचिव हो समाज महासभा जवाहरलाल बांकिरा ने किया.


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