
Girish Malviya
देश की एक और बड़ी कम्पनी एस्सेल समूह भी डूबने की कगार पर है, एस्सेल समूह के मालिक हैं सुभाष चंद्रा, जो खुद को अब एक मार्केटिंग गुरु के रूप में पेश करते हैं. सुभाष चंद्रा मौजूदा मोदी सरकार के खासे करीबी माने जाते हैं और भाजपा के सहयोग से राज्यसभा सदस्य बने हुए हैं. अपने चैनल जी न्यूज के माध्यम से मोदी के हर गलत काम को सही ठहराना इनके प्रिय शगल भी हैं…
सुभाष चंद्रा की एस्सेल समूह की कंपनियों पर म्यूचुअल फंड और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का करीब 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. जिसमें 7,000 करोड़ रुपये एमएफ कर्ज और 5,000 करोड़ रुपये एनबीएफसीज का कर्ज है. इसके कारण देश में एक और IL&FS संकट का खतरा पैदा हो गया है…


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साल 2019 की शुरुआत में जी समूह के शेयर बाजार में एकाएक धड़ाम हो गए जानकारों के मुताबिक, इसकी तात्कालिक वजह एक मीडिया रिपोर्ट थी. जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी के बाद नित्यांक इंफ्रापावर नाम की एक कंपनी ने 3000 करोड़ रुपये जमा कराए थे, जिसका संबंध एस्सेल ग्रुप की कम्पनियों से होना पाया गया, सुभाष चंद्रा इसके कारण मुश्किल में आ गए और जी समूह पर डिफॉल्ट का खतरा मंडराने लगा….
जनवरी 2019 के अंत में म्युचुअल फंडों और अन्य कर्जदारों ने एस्सेल के प्रवर्तकों के साथ गिरवी शेयर नहीं बेचने के लिए करार किया था. इसमें इस बात पर सहमति जताई गई थी कि जी के शेयरों में भारी गिरावट के कारण इसे डिफॉल्ट घोषित नहीं किया जाएगा. प्रवर्तकों ने रेहन के रूप में जी के शेयर गिरवी रखे हैं.
साथ ही एस्सेल के ऋणदाताओं ने प्रवर्तकों को बकाये के भुगतान के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया था. सुभाष चंद्रा के पास कंपनी में हिस्सेदारी बेचकर उनका बकाया चुकाने के लिए 30 सितंबर तक का समय था, जो अब से कुछ ही दिनों बाद खत्म हो रहा है.
पिछले महीने एस्सेल ने जी में 11 प्रतिशत हिस्सेदारी इनवेस्को ओपनहाइमर को 4,224 करोड़ रुपये में बेची थी. इसके बाद उसने 6 म्यूचुअल फंडों का 2,300 करोड़ का बकाया चुकाया था. #30September तक एस्सेल को और 2,300 करोड़ का कर्ज चुकाना था.
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लेकिन अब एस्सेल के शीर्ष अधिकारियों ने म्यूचुअल फंडों को बताया है कि वे #30September की समयसीमा तक बकाया नहीं चुका पाएंगे. उन्होंने इसके लिए और वक्त मांगा है. सुभाष चंद्रा कह रहे हैं कि कुछ निवेशकों से जी में अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचने के लिए बात कर रहा था, लेकिन वैल्यूएशन और अन्य मसलों के कारण सौदा होने में अधिक समय लग रहा है.
अब कहा जा रहा है कि कुछ कर्जदाता एस्सेल ग्रुप को और समय देना चाहते हैं, क्योंकि वह ईमानदारी से कर्ज चुकाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन कुछ फंड हाउस एस्सेल पर तुरंत बकाया चुकाने का दबाव डाल रहे हैं.’ सेबी की गाइड लाइन के भी कुछ इश्यू सामने आए हैं.
सेबी के अध्यक्ष अजय त्यागी ने कहा था कि नियामक ने म्युचुअल फंडों और प्रवर्तकों के बीच गिरवी शेयर नहीं बेचने के लिए हुए करार को मान्यता नहीं दी है. लेकिन सेबी पर मोदी सरकार के सहयोग से दबाव बनाने की कोशिश सुभाष चंद्रा कर रहे हैं.
अब यदि यह #30September की समयसीमा यदि आगे नहीं बढ़ पाती, तो यह यकीन मानिए कि जी समूह भी डूब जाएगा और यह अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका साबित होगा.
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(लेखक आर्थिक मामलों के सलाहकार हैं, ये इनके निजी विचार हैं.)