Patna : करीब तीन दशक पहले राजद के गठन के बाद से अब तक की सबसे बुरी हार पार्टी को मिली है. पहली बार ऐसा हुआ है कि लोकसभा चुनाव में राजद अपना खाता तक नहीं खोल पायी है. लालू यादव की पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा.
लोकसभा चुनाव में राजद अध्यक्ष लालू यादव की कमी शुरू से ही खली. चुनाव प्रचार के दौरान भी कुशल नेतृत्व का घोर अभाव दिखा. हालांकि तेजस्वी यादव ने पूरे चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया.
लेकिन इसका कुछ खास फायदा पार्टी को नहीं मिल सका. 10 सीटों पर महागठबंधन के दलों में तालमेल की कमी और भितरघात भी साफ तौर पर नजर आ रहा था.
40 में से 39 सीटों पर एनडीए की जीत
वहीं एनडीए ने बिहार में शानदार प्रदर्शन किया है. उसने चार पार्टियों के महागठबंधन को करारी मात देते हुए राज्य की कुल 40 सीटों में से 39 सीट जीतकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है.
अन्य पार्टियां जैसे कि आरजेडी, कांग्रेस, रालोसपा, हम, वीआईपी और सीपीआईएम के गठबंधन को केवल एक सीट, किशनगंज से संतोष करना पड़ा.
तेजस्वी ने कार्यकर्ताओं का बढ़ाया मनोबल
चुनाव में खाता तक नहीं खुलने और बुरी तरह हार के बावजूद राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया. उन्होंने बहादुरी से चुनाव लड़ने के लिए राजद और महागठबंधन में शामिल पार्टियों के कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया.
तेजस्वी ने गांधी, लोहिया, जयप्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर के सिद्धांतों पर कायम रहते हुए राजद की वापसी का इरादा जाहिर किया. राजद की स्थापना 1997 में तेजस्वी के पिता एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने की थी.
मौजूदा लोकसभा चुनावों में राजद ने अपने 19 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन किसी को भी जीत नहीं मिल सकी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाजपा की प्रचंड जीत की हार्दिक बधाई देते हुए तेजस्वी ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री अपने नए कार्यकाल में रोजगार, कृषि एवं अर्थव्यवस्था पर पर्याप्त ध्यान देंगे और लोगों की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे.