
Ranchi : रांची नगर निगम का नया भवन लगभग बनकर तैयार हो चुका है. बताया जा रहा है कि आगामी मार्च या अप्रैल माह तक नये भवन को निगम को हैंडओवर कर दिया जायेगा. करीब 3 साल पहले शुरू हुए भवन निर्माण काम के बाद अब मेयर आशा लकड़ा की नींद खुली है. उन्होंने भवन बना रहे नगर विकास विभाग के अधिकारियों को बुलाकर भवन की संरचना पर आपत्ति जतायी है.
इसके लिए बुधवार को मेयर ने अपने निगम कक्ष में एक बैठक बुलायी. बैठक के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि नये भवन की संरचना को लेकर जुडको ने कभी भी निगम के साथ विचार-विमर्श नहीं किया. इससे इस भवन के निर्माण काम में कई त्रुटियां रह गयी हैं.
बता दें कि गत 2 फरवरी को मेयर सहित डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, कई पार्षदों ने निगम के नवनिर्मित भवन का निरीक्षण किया था. इस दौरान उन्होंने ठेकेदार व जुडको के अभियंताओं को खूब खरी-खोटी सुनायी थी.

इसे भी पढ़ें : सीएम हेमंत के आदेश के बाद तीन दिनों में 11689 बेरोजगारों ने कराया रजिस्ट्रेशन
जुडको के अधिकारियों को किया था तलब
निगम के नये भवन के निरीक्षण को पहुंची मेयर ने कहा था कि जुडको ने स्टेक होल्डर की मीटिंग में जो चीजें दिखायी थी, निर्माण में उसका ध्यान नहीं रखा गया. उसके उलटा बना दिया गया. नया भवन 8 मंजिला बना है, लेकिन छत की ऊंचाई बहुत कम रखी गयी है. 8वें तल्ले पर स्थित हॉल के बीच में भी पिलर बना है.
इससे यहां मीटिंग करने में परेशानी होगी. नाराजगी जताने के साथ मेयर ने निर्माण कार्य में शामिल जुडको, कंपनी के ठेकेदार, पीएमसी समेत अधिकारियों को बुधवार को तलब किया था. इस दौरान उन्होंने ठेकेदार से कहा था कि वे उस प्रेजेंटेशन को भी साथ लेकर आयें, जो उसने निर्माण के पूर्व निगम के अधिकारियों को दिखाया था.
इसे भी पढ़ें : क्षेत्र भ्रमण के दौरान अधिकारी शौचालयों का भौतिक सत्यापन करें: मुख्य सचिव
11 फरवरी को रिपोर्ट जमा करने का निर्देश
बुधवार को हुई बैठक के बाद मेयर ने बताया कि निगम पब्लिक रिलेटेड कार्यालय है. इसमें आने वाले सभी उम्र के जनता का ख्याल रखा जाना चाहिए. इसी के अनुरूप नगर निगम में कार्यरत सभी विभागों के लिए ऑफिस बनाने का निर्देश दिया.
वहीं मीटिंग के सभागार को भी बड़ा एवं व्यवस्थित करने का निर्देश मेयर ने दिया. नये भवन में आयी त्रुटियों को सुधार कर 11 फरवरी तक रिपोर्ट जमा करने का निर्देश भी मेयर ने दिया.
इसे भी पढ़ें : मानव विकास सूचकांक: देश में सबसे पिछड़े हैं आदिवासी व दलित, फिर भी केंद्रीय बजट में इनके लिए 3% ही बढ़ोतरी