
Colombo : श्रीलंका में गृह युद्ध काल में विवादित रक्षा सचिव रहे गोटबाया राजपक्षे देश के नयो राष्ट्रपति होंगे. और इसके साथ ही चीन की ओर झुकाव रखने के लिए जाना जाने वाला शक्तिशाली राजपक्षे परिवार सत्ता में वापसी करेगा. श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार सजीत प्रेमदास ने देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी गोटबाया राजपक्षे के हाथों अपनी हार रविवार को स्वीकार कर ली.
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जीत के बाद 70 वर्षीय सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल गोटबाया राजपक्षे ने अपने समर्थकों से ‘‘शांतिपूर्ण तरीके से जश्न’’ मनाने की अपील की.
गोटबाया राजपक्षे ने ट्वीट किया, ‘‘हम श्रीलंका के लिए नई यात्रा शुरू कर रहे हैं, ऐसे में हमें यह याद रखना चाहिए कि श्रीलंका के सभी लोग इस यात्रा का हिस्सा हैं. आइए शांतिपूर्वक, गरिमा और अनुशासन के साथ उसी तरह जश्न मनाएं जिस प्रकार हमने प्रचार मुहिम की थी.’’
चीन के संबंध बहाल करेंगे नये राष्ट्रपति
गोटबाया ने चुनाव जीतने पर श्रीलंका के सबसे बड़े ऋणदाता चीन के साथ ‘‘संबंध बहाल’’ करने का संकल्प लिया था. दूसरी तरफ प्रेमदास (52) को भारत एवं अमेरिका की तरफ झुकाव रखने वाले के तौर पर देखा जाता है. प्रेमदास ने निर्वाचन सचिवालय की ओर से परिणाम की आधिकारिक घोषणा से भी पहले चुनाव में हार स्वीकार करते हुए यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के उपनेता के पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया.
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सत्तारूढ़ यूएनपी के उम्मीदवार प्रेमदास ने कहा, ‘‘लोगों के निर्णय का सम्मान करना और श्रीलंका के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर चुने जाने के लिए गोटबाया राजपक्षे को बधाई देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है.’’
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैं हमारे उन नागरिकों का आभारी हूं जिन्होंने मेरे लिए मतदान किया. मैं आभारी हूं कि आपने मुझमें अपना भरोसा दिखाया. आपका समर्थन मेरे पूरे राजनीतिक करियर की ताकत का आधार रहा है.’’
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘मतदाताओं के आज के फैसले के मद्देनजर मैंने यूएनपी के उपनेता के पद से तत्काल प्रभाव से हटने का फैसला किया है.’’ प्रेमदास को देश के तमिल बहुल उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में ज्यादा वोट मिले हैं. सिंहली बहुल जिलों में राजपक्षे आगे रहे. अधिकारियों ने बताया कि राजपक्षे को शाम में श्रीलंका का राष्ट्रपति घोषित किया जा सकता है.
चुनाव में 80 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इस बीच, देश के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंहे अपराह्न में कैबिनेट की अंतिम बैठक करेंगे. चुनाव परिणाम के बाद उनके पद से हटने की संभावना है. मौजूदा संसद को कम के कम अगले साल फरवरी से पहले भंग नहीं किया जा सकता. विक्रमसिंघे को तब तक पद से हटाया नजीं जा सकता, जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते.
ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद गोटबाया राजपक्षे अपने बड़े भाई महिंदा को प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे. गोटबाया राजपक्षे मैत्रीपाला सिरिसेना की जगह राष्ट्रपति बनेंगे. महिंदा राजपक्षे ने तमिल अलगाववादी युद्ध को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई थी जिसके कारण वह सिंहली बौद्ध बहुल समुदाय के प्रिय बन गए. गोटबाया उनके शीर्ष रक्षा मंत्रालय अधिकारी थे जिन्होंने लिट्टे के खिलाफ सैन्य अभियान की निगरानी की.
गोटबाया की जीत राजपक्षे परिवार को फिर से देश की सत्ता में ले आई है. महिंदा राजपक्षे पिछले राष्ट्रपति चुनाव में आश्चर्यजनक रूप से हार गये थे.
पर्यवेक्षकों के अनुसार चीन समर्थक राजपक्षे के मैदान में होने के कारण भारत इन चुनाव परिणाम पर नजदीक से नजर रख रहा है क्योंकि इसके परिणाम का हिंद प्रशांत क्षेत्र में देश की मौजूदगी पर असर पड़ेगा जहां बीजिंग तेजी से अपनी पहुंच बढ़ा रहा है.
श्रीलंका में इस चुनाव से सात महीने पहले हुए आत्मघाती बम हमलों में 269 लोगों की मौत हो गई थी. इससे पर्यटन उद्योग को भी खासा नुकसान हुआ था. इस हमले ने देश में सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
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