
- मामला पलामू के ‘समर्थ’ आवासीय विद्यालय का, आरोपी शिक्षक फरार
- विभाग के अधिकारियों ने शुरू की जांच
Dilip kumar
Palamu: अनाथ और असहाय बच्चों को रखने वाले पलामू प्रमंडल के एक मात्र ‘समर्थ’ आवासीय विद्यालय में बच्चों का यौन शोषण करने का मामला प्रकाश में आया है. विद्यालय के निजी शिक्षक मनोज कुमार पर बच्चों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. बच्चों का आरोप है कि रात के अंधेरे में शिक्षक बच्चों का यौन शोषण करते थे और विरोध करने पर मारपीट की धमकी देते थे. मामला चर्चा में आने के बाद शिक्षक विद्यालय छोड़कर फरार हो गया है.


हरकत में आया शिक्षा विभाग, जांच शुरू




विश्रामपुर के समाजिक कार्यकर्ता राहुल दुबे द्वारा जिले के नावाबाजार के पिपहरवा स्थित समर्थ आवासीय विद्यालय के मामले का खुलासा किये जाने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आ गया है. रविवार को सरकारी छुट्टी रहने के बावजूद नावाबाजार के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी पंकज कुमार बच्चन मामले की जांच के लिए विद्यालय पहुंचे. बीइइओ ने इतना बताया कि उन्हें ऐसी सूचना मिली है. जांच की जा रही है. इसके बाद कार्रवाई की जायेगी. सूत्रों के अनुसार जांच के दौरान बीइइओ ने विद्यालय के वार्डन से स्पस्टीकरण पूछा है. यह भी जानने की कोशिश की गयी है कि आखिर निजी शिक्षक को किसकी अनुमति से विद्यालय में रखा गया था.
ये है पूरा मामला
विद्यालय के नाबालिग बच्चों ने बताया कि उनके साथ यौन शोषण के साथ निजी काम कराने का सिलसिला लंबे समय से चलता आ रहा है. कई बच्चे इससे प्रभावित थे. लेकिन आवाज नहीं उठा पा रहे थे. अक्सर शिक्षक मनोज कुमार धमकी देते थे. कक्षा छह के एक छात्र ने बताया कि बच्चों की परेशानी को वह अपनी कॉपी में लिखा करता था. उसने कॉपी भी दिखायी. बच्चों की शिकायत दिल दहलाने वाली थी. न्यूज विंग के पास बच्चों से बातचीत और आरोप लगाने संबंधित वीडियो भी है.
अनाथ और गरीब बच्चे पढ़ते हैं ‘समर्थ’ आवासीय विद्यालय में
‘समर्थ’ आवासीय विद्यालय में वैसे बच्चे पढ़ते हैं, जिनके अभिभावक नहीं होते हैं. गरीब और असहाय बच्चे, जो पढ़ने की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस विद्यालय में नामांकन दिलाया जाता है. पलामू प्रमंडल में इस तरह का यह पहला विद्यालय है. इसकी स्थापना 2017 में हुई थी. वार्डन पप्पू कुमार ने बताया कि आवासीय विद्यालय में 100 बच्चों का नामांकन करना है. अभी 81 बच्चे यहां नामांकित हैं. स्कूल में वैसे बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, जिनके माता-पिता नक्सली हमले के शिकार हो गए हैं. कुछ लावारिस बच्चे भी यहां नामांकित हैं. विद्यालय समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित हो रहा है. इसका सारा खर्च सरकार वहन करती है. उनके अलावा विद्यालय में एक और शिक्षक मनोज कुमार मेहता कार्यरत हैं.
निःशुल्क शिक्षा दे रहा था आरोपी शिक्षक
वार्डन ने बताया कि बीएड करते समय शिक्षक मनोज कुमार (आरोपी) से उसकी जान पहचान हुई थी. पिछले चार-पांच माह से मनोज विद्यालय में निःशुल्क शिक्षा दे रहा था. उसे नहीं पता था कि बंद कमरे में मनोज ऐसी हरकत कर रहा है. ऐसी भनक लगती तो उसे सहयोग के लिए कभी नहीं रखता. मामला गरम हो जाने के बाद गत 10 जनवरी को आरोपी शिक्षक विद्यालय छोड़कर चला गया. मनोज बिहार के औरंगाबाद जिले का निवासी है.
आरोपी शिक्षक की सेवा नियमित करने के लिए लिखा था पत्र
आरोपी शिक्षक की निःशुल्क सेवा से प्रभावित होकर विद्यालय के वार्डन पप्पू कुमार ने जिले के शिक्षा पदाधिकारी की सेवा नियमित कराने के लिए गत 22 नवम्बर को पत्र लिखा था. शैक्षणिक योग्यता और पूर्व से निःशुल्क कार्य करने का का हवाला देकर नियमित करने का आग्रह किया गया था. इस बीच ऐसी घटना सामने आने से वार्डन को अपने किए पर पछतावा हो रहा है.
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