
Ranchi: काफी दिनों के बाद झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की राजनीति अपने परवान पर है. लेकिन राजनीति उन्हें अपने ही पार्टी के लोगों के खिलाफ करनी पड़ रही है. उनका हर कदम बीजेपी में विलय के मामले को और पुख्ता कर रहा है.
पहले तो उन्होंने कार्यकारिणी कमेटी को भंग की. फिर पार्टी के विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की से पद छीन लिए. अब पार्टी विरोध काम करने का आरोप लगाकर बंधु तिर्की को पार्टी से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया.
बंधु को पार्टी से बाहर करने का प्रदीप यादव जमकर विरोध कर रहे हैं. न्यूज विंग से बात करते हुए प्रदीप यादव ने कहा कि मैं पार्टी में विधायक दल का नेता हूं. लेकिन विधायक बंधु तिर्की को पार्टी से निष्कासित करने से पहले ना तो मुझसे मेरे विचार पूछे गए और ना ही मेरी रजामंदी ली गयी.
साथ ही कहा कि बंधु तिर्की के साथ न्याय नहीं हुआ है. पार्टी को अपने फैसले पर एक बार फिर से पुनर्विचार करना चाहिए. बंधु तिर्की जमीन से जुड़े हुए एक सीनियर नेता हैं. उनपर जो भी आरोप लगे थे, उसकी जांच होनी चाहिए थी. कहा कि बाबूलाल के ऐसा करने से लोगों के बीच यह संदेश जा रहा है कि वो बीजेपी में शामिल होने के लिए ऐसा कर रहे हैं.
इसे भी पढ़ें – जानें कैसे बीजेपी में विलय के बाद जिंदा रहेगा जेवीएम का वजूद
प्रदीप यादव पर भी गिर सकती है निष्कासन की गाज
पुख्ता सूत्रों का कहना है कि, हो सकता है कि बाबूलाल मरांडी का विरोध करने की सूरत में बाबूलाल मरांडी प्रदीप यादव को भी पार्टी से बाहर कर सकते हैं. इस रणनीति पर बाबूलाल काफी जोर-शोर से काम कर रहे हैं.
वैसे प्रदीप यादव शुरू से पार्टी के बीजेपी में विलय का विरोध कर रहे हैं. लेकिन अब खुलकर विरोध कर रहे हैं. जिस तरह की कानूनी अड़चन की बात प्रदीप यादव पार्टी के विलय को लेकर लगा रहे हैं. उससे बाबूलाल की मुश्किलें बढ़ रही हैं.
इन मुश्किलों के निजात पाने के लिए बाबूलाल प्रदीप यादव को भी बंधु की तरह पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं. हालांकि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की दोनों को बाहर का रास्ता दिखाने के बावजूद दसवीं अनुसूची की पेंच में फंस रही है. देखना होगा कि बाबूलाल इन कानूनी पेंचों को कैसे दुरुस्त करते हैं.
इसे भी पढ़ें – असमंजस में पड़ती झारखंड की राजनीति !