
New Delhi: राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों की बढ़ती इंट्री के बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश आये है. देश की सर्वोच्च अदालत ने राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों की बढ़ती हिस्सेदारी पर चिंता व्यक्त की है.
Supreme Court directs political parties to upload on their websites the reasons for selection of candidates with criminal antecedents. pic.twitter.com/WGibnBLvEJ
— ANI (@ANI) February 13, 2020
साथ ही कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर सभी उम्मीदवारों की जानकारी साझा करें. इस जानकारी में उम्मीदवार पर दर्ज सभी आपराधिक केस, ट्रायल की स्थिति के साथ-साथ उम्मीदवार के चयन का कारण भी बताना होगा.
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साफ शब्दों में कहे तो पॉलिटिक्ल पार्टी को ये भी बताना होगा कि आखिर उन्होंने एक क्रिमिनल को उम्मीदवार क्यों बनाया है.
अखबार, सोशल साइट पर भी देनी होगी जानकारी
गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने ये आदेश दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, सभी राजनीतिक दलों को उम्मीदवार घोषित करने के 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देनी होगी.
Supreme Court also directs political parties to publish credentials, achievements and criminal antecedents of candidates on newspaper, social media platforms and on their website while giving a reason for selection of candidate with criminal antecedents. https://t.co/HE0Om38zGn
— ANI (@ANI) February 13, 2020
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इसके अलावे घोषित उम्मीदवार की जानकारी को स्थानीय अखबारों में भी छपवानी होगी. सोशल साइट पर भी ये जानकारी साझा करनी होगी.
इस याचिका को दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि अगर कोई भी कैंडिडेट या राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करेगा, तो उसे अदालत की अवमानना माना जाएगा.
वकील अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि, अगर किसी नेता या उम्मीदवार के खिलाफ कोई केस नहीं है और किसी भी तरह का आपराधिक मामला दर्ज नहीं है तो उसे भी इसकी जानकारी देनी होगी. अगर कोई भी नेता सोशल मीडिया, अखबार या वेबसाइट पर ये सभी जानकारियां नहीं देता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ एक्शन ले सकता है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट को भी जानकारी दे सकता है.
उल्लेखनीय है कि चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली गैर-सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में चुने गए 70 में से 37 विधायकों पर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं.
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