
NewDelhi : इस साल सामान्य से अधिक यानी कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है. शीतलहर भी चल सकती है. एक तरह से यह चेतावनी भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दी है. जान लें कि इंडोनेशिया और आसपास के देशों में ला नीना (La Nina Effect) के असर से इस बार बारिश औसत से अधिक हुई है जिसका असर दिसंबर में देखने को मिलेगा. दिसंबर में कोल्ड डे और सीवियर कोल्ड डे रहने वाले है.
विभाग के अनुसार दिसंबर से फरवरी तक ठंड सामान्य से ज्यादा रहेगी. कहा गया है कि उत्तर, उत्तरपश्चिम और मध्य भारत के अलावा पूर्वी भारत में आने वाले समय में ठंड ज्यादा पड़ने की संभावना है.
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रात में ठंड सामान्य से ज्यादा पड़ेगी
मौसम विभाग ने कहा है कि दिसंबर से फरवरी तक के महीने में इस बार सुबह और रात में ठंड सामान्य से ज्यादा पड़ेगी, जबकि दिन के तापमान सामान्य से ऊपर रह सकता है. मौसम विभाग के तीन महीने के लिए जारी पूर्वानुमान के अनुसार उत्तरपूर्व भारत और दक्षिण के कुछ तटीय इलाके में इस दौरान सामान्य से ज्यादा तापमान रह सकता है. IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा है कि आने वाले समय उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ेगी. कई इलाकों में शीतलहर भी चल सकती है.
दक्षिण भारत की बात करें तो केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के कई इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम हो सकता है. इसका मतलब यहां दिन के समय में उतनी गर्मी नहीं होगी. महापात्रा ने बताया कि इसबार सर्दियों के अंत तक यही स्थिति देखने को मिल सकती है.
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दिल्ली 10 सालों में नवंबर में सबसे ठंडी रही
नवंबर के महीने में राजधानी दिल्ली में पिछले 10 सालों में सबसे ज्यादा ठंडी रही. राजधानी का न्यूनतम तापमान करीब 10 डिग्री के आसपास ही रहा. 29 नवंबर तक दिल्ली का औसत न्यूनतम तापमान 10.3 डिग्री रहा है,
ला नीना का रहेगा असर
इंडोनेशिया और आसपास के देशों में ला नीना (La Nina Effect) के असर से हुई अधिक बारिश का असर दिसंबर में देखने को मिलेगा. बता दें कि IMD महानिदेशक महापात्रा ने एक वेबिनार में कहा था कि यह नहीं समझना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से तापमान में बढ़ोतरी होती है. सच्चाई यह है कि तापमान में बढ़ोतरी की वजह से मौसम अनियमित हो जाता है.
उन्होंने कहा था कि शीत लहर की स्थिति के लिए ला नीना अनुकूल होता है. ला नीना के तहत समुद्र में पानी ठंडा होना शुरू हो जाता है. समुद्री पानी पहले से ही ठंडा होता है, लेकिन इसके कारण उसमें ठंडक बढ़ती है जिसका असर हवाओं पर पड़ता है.
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