
Ranchi : झारखंड प्रदेश कांग्रेस के अंदर गुटबाजी का चरम सोमवार को देखने को मिला. कार्यकारी अध्यक्षों व प्रवक्ता के बीच की तीखी नोक-झोंक इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी है.
लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि बीस सूत्री एवं निगरानी समितियों का गठन अभी तक नहीं हो पाया है. बात दें कि बीते 17 जनवरी को झारखंड कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने कहा था कि जनवरी माह के अंत तक बीस सूत्री और निगरानी समितियों का बंटवारा हो जायेगा. लेकिन यह अभी तक नहीं हो पाया है.
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दूसरी बार रांची आकर लौटे आरपीएन, नहीं हुई कोई पहल
17 जनवरी के दौरे में आरपीएन ने समिति बंटवारे को लेकर जो कुछ कहा था, उससे तो यही लग रहा था कि कार्यकर्ताओं को जल्द ही तोहफा मिलेगा. लेकिन ऐसा कुछ अभी तक नहीं हुआ. उसके बाद आरपीएन सिंह दोबारा हजारीबाग रैली के लिए रांची आये.
रैली में शामिल भी हुए और मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की. उसके बाद वे 22 फरवरी को दिल्ली भी लौट गये. लेकिन बीस सूत्री व निगरानी समितियों के बंटवारे को लेकर कोई पहल नहीं हुई.
केवल कमिटी बना कर कार्यकर्ताओं को खुश करने की हुई है कोशिश
अपने जनवरी दौरे के दौरान आरपीएन सिंह ने कहा था कि बीस सूत्री व निगरानी समितियों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के तरफ चार सदस्यीय कमिटी बनायी गयी है.
कमिटी में प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव, विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर और केशव महतो कमलेश को शामिल किया गया है. कमिटी ने इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात की.
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लेकिन मुलाकात के बाद भी बंटवारे को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं दिखी है. पार्टी मुख्यालय में बैठे कार्यकर्ताओं दबे स्वर पर यही कहते हैं कि प्रभारी ने कमिटी बना कर कार्यकर्ताओं को केवल खुश कर दिया है. लेकिन कमिटी इस कार्य को कब पूरा करेगी, इसकी जानकारी किसी को नहीं है.
हजारों कार्यकर्ता इसी आस में हैं कि उनकी इच्छा होगी पूरी
प्रखंड से लेकर जिला स्तर के कार्यकर्ताओं की सोच यही है कि जल्द से जल्द बीस सूत्री व निगरानी समिति का बंटवारा हो जाये. कार्यकर्ता इसी सोच पर हैं कि इसके बाद ही सत्ता में आते ही उनकी वास्तविक इच्छा पूरी होगी. लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि गठबंधन के सहयोगियों के बीच इस बारे में बैठक हो.
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