
Chhaya
Ranchi: राज्य सरकार ने ई-काॅमर्स कंपनियों को छूट दी है. कंटेनमेंट जोन छोड़कर इसकी छूट दी गयी है. जबकि राज्य के कुछ खुदरा व्यापारियों को कोई रियायत नहीं दी गयी. जिसमें कपड़ा, जूता, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील एडं मैट्रेस आदि के दुकान शामिल हैं. ऐसे व्यवपारियों की संख्या राज्य में अधिक है. भले ही कुछ छोटे तो कुछ बड़े हैं.
राज्य में लगभग 60 दिनों के लाॅकडाउन के बाद राज्य सरकार ने ये रियायत दी UW. जो केंद्र के आदेश के बाद संभव हो पाया. ई-काॅमर्स को पूरी तरह से लागू किये जाने के बाद राज्य के तमाम कपड़ा, जूता, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील एडं मैट्रेस आदि के कारोबारियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा. ई-कामॅर्स को दी गयी छूट के कई साइड इफेक्ट्स भी हैं. जो राज्य के लिये दूरगामी साबित हो सकते हैं. प
हले से ही केंद्र के अनियोजित लाॅकडाउन से व्यापारी वर्ग परेशान थे. सरकारी राजस्व वसूली में सबसे अधिक योगदान इनकी ही होती है. इसके बाद भी इन रियायतों में इनका ख्याल नहीं रखा गया. परिणाम ये होगा की इनके सामने भविष्य में काफी परेशानियां होंगी. जिसमें नकदी की कमी से लेकर स्टाॅक और बाजार तक की कमी होगी. वहीं ई-कामॅर्स से सभी सुविधाएं मिलने के बाद ग्राहक अपनी जरूरत तो पूरा कर लेंगे लेकिन इनसे बाजार प्रभावित होगा.


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राज्य सरकार को भी होगा राजस्व का लाभ
ई-कार्मर्स कंपनियों को भले राज्य में छूट दी गयी हो. कंटेनमेंट जोन में यह छूट नहीं दी गयी है. यहां यह जानना जरूरी है कि राज्य सरकार को आइजीएसटी के तहत कर का डायरेक्ट बेनिफिट नहीं मिलता है. ई-कार्मर्स से जुड़ी सारी कंपनियां आइजीएसटी के तहत सरकार को कर देती है. इसके फायदा सीधे केंद्र सरकार को होगा. क्योंकि यह कारोबार दो राज्यों या इससे अधिक के बीच होता है.
सामान्य रूप से समझें तो ई काॅमर्स कंपनियों के वेयर हाउस और डीलर अलग-अलग क्षेत्रों में होते हैं. जबकि इनके मुख्यालय मेट्रो सिटिज में ही है. ऐसे में ग्राहकों की ओर से ऑर्डर मिलने के बाद अलग-अलग डीलरों से सामान मुख्यालय पहुंचाया जाता है. जिसके बाद यह अलग अलग क्षेत्रों के वेयर हाउस में पहुंचता है.
अगर खुदरा व्यापारियों को यह छूट दी जाती तो बाजार में मांग बनी रहने के साथ, भविष्य में होने वाले संकटों का खतरा भी कम रहता. राज्य सरकार को कर की प्राप्ति भी होती. राज्य की वर्तमान आर्थिक स्थिति के अनुसार यह काफी महत्वपूर्ण है की खुदरा व्यापारियों को छूट दी जाए.
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कैश फ्लो की हो सकती है समस्या
आने वाले दस दिनों में ग्राहकों से मिलने वाले ऑर्डर के बाद, कारोबार शुरू हो जायेगा. जाहिर है ग्राहक जरूरत का सामान लेंगे. ऐसे में राज्य के खुदरा बाजार में कैश फ्लो की कमी हो सकती है. चेंबर सदस्य और झारखंड इलेक्ट्रिकल ट्रेर्डस एसोसिएशन के अध्यक्ष पकंज चैधरी ने बताया की सरकार के इस आदेश से व्यापारियों में काफी असंतोष है. भविष्य की समस्याओं की बात करें तो स्टाॅक की समस्या होगी. समय के साथ लोगों की मांग में भी बदलाव होगा.
अभी लोगों के पास जो स्टाॅक है वो मौसम के अनुसार हैं भले ही वो लोग किसी भी व्यापार के हो. आने वाले कुछ दिनों में ट्रेंड में बदलाव होगा. ऐसे में स्टाॅक धरा का धरा रह जायेगा. जबकि ई-काॅमर्स कंपनियां तब बाजार जमा चुकी होंगी. वहीं खुदरा बाजार में स्टाॅक पड़े रहने के कारण कैश फ्लो में कमी आयेगी. जिसे नगदी की कमी कहा जायेगा. पंकज ने कहा की 60 दिनों तक राज्य के व्यापारियों ने ही सरकार की मदद राहत कार्यों में की. इसके बाद भी राज्य सरकार ने व्यापारियों की नहीं सोची.
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मेटेंनेस के साथ हैं कई खर्च
भले ही बाजार पिछले 60 दिनों बंद हो. लेकिन लोकल मार्केट के लिये मुनाफा न होते हुए भी खर्च जारी रहा. जिसमें कर्मचारियों को वेतन देना, स्टोर और स्टाॅक के मेंटेनेंस आदि शामिल हैं. सिर्फ इलेक्ट्राॅनिक्स दुकानों की मानें तो मेंटेनेंस में हर महीने 40 हजार खर्च होते हैं. ऐसे में खर्च तो जारी है. लेकिन मुनाफा कम. कपड़ा या अन्य जरूरी सामानों के दुकानदारों की भी ऐसी ही समस्या है. जो स्टाॅक है वो तो खत्म नहीं हो रहे हैं.
चेंबर अध्यक्ष कुणाल आजमानी ने कहा की व्यापारी तीन-तीन महीने पहले स्टाॅक तैयार करते हैं. अभी जो भी स्टाॅक है वो गर्मी और ईद को देखते हुए है. ऐसे में जब खुदरा बाजार खुलेंगी तो ये स्टाॅक किसी काम के नहीं रह जायेंगे. करोड़ों का स्टाॅक रख कर कारोबारियों ने सरकार की मदद आपदा काल में की. लेकिन अब सरकार हमारे बारे में नहीं सोच रही. भले ही आइजीएसटी के तहत टैक्स प्राप्ति राज्य सरकार को हो, लेकिन लोकल बाजार से सरकार को अधिक राजस्व प्राप्ति होती.