
NewDelhi : भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सरदार वल्लभभाई पटेल को अपनी कैबिनेट में शामिल नहीं करना चाहते थे? विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस ट्वीट ने राजनीतिक दलों, सोशल मीडिया में एक नयी बहस को जन्म दे दिया है. जान लें कि विदेश मंत्री एक किताब के हवाले से ट्वीट किया कि नेहरू 1947 में अपनी कैबिनेट में पटेल को शामिल नहीं करना चाहते थे. कैबिनेट की पहली लिस्ट से उन्हें बाहर भी कर दिया था. इस दावे पर कांग्रेस के साथ इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी किताब में किये गये इस दावे को गलत करार दिया है. कांग्रेस ने नेहरू द्वारा माउंटबेटन को लिखा गया पत्र शेयर किया है, जिसमें पटेल का नाम कैबिनेट लिस्ट में टॉप पर है.
Released an absorbing biography of VP Menon by @narayani_basu. Sharp contrast between Patel’s Menon and Nehru’s Menon. Much awaited justice done to a truly historical figure. pic.twitter.com/SrCBMtuEMx
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 12, 2020
Some Foreign Ministers do read books. May be a good habit for some Professors too. In that case, strongly recommend the one I released yesterday. https://t.co/d2Iq4jafsR
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 13, 2020
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राजनीति का इतिहास लिखने के लिए ईमानदार होना होता है
जयशंकर ने सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा है कि निश्चित तौर पर इस मुद्दे पर बहस की जरूरत है. मैंने पाया कि लेखक इस खुलासे पर कायम थीं. बता दें कि भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले वीपी मेनन की जीवनी पर नारायणी बसु द्वारा लिखी किताब वीपी मेनन का जयशंकर ने विमोचन किया था. इस क्रम में जयशंकर ने एक ट्वीट में लिखा कि राजनीति का इतिहास लिखने के लिए ईमानदार होना होता है. उन्होंने इसी ट्वीट में किताब में मेनन के शब्दों को ट्वीट करते हुए लिखा है, जब सरदार का निधन हुआ, तो उनकी स्मृतियों को मिटाने का बड़ा अभियान शुरू हुआ. मुझे यह पता था, क्योंकि मैंने यह देखा था और मैं उस समय खुद को पीड़ित महसूस करता था.
4.Nehru letter to Mountbatten dated August 4 1947 with Patel again on top of the new Cabinet list.
5. Nehru letter to Patel dated August 4 1947 forwarding the same list. pic.twitter.com/J4FoOsiWbD
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 13, 2020
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कांग्रेस ने जयशंकर के दावे पर पलटवार किया
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कई ट्वीट कर वीपी मेनन की जीवनी में किये गये दावे को झूठा करार दिया है. रमेश ने 14 अगस्त 1947 का एक पत्र ट्वीट करते हुए लिखा है कि पटेल नेहरू के बाद कैबिनेट में नंबर दो थे. रमेश ने कई ट्वीट करते हुए लिखा कि नहेरू द्वारा पटेल को कैबिनेट में शामिल नहीं किये जाने की झूठी खबरों के बीच मैं कई लेटर और कागजात साक्ष्य के तौर पर पेश कर रहा हूं. यही सच है.
जयशंकर के ट्वीट पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने भी निशाना साधा
जयशंकर के इस ट्वीट पर प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने हमलावर होते हुए जयशंकर को इसकी चिंता छोड़ने की सलाह दी है. रामचंद्र गुहा ट्वीट कर लिखा, यह एक मिथ है, प्रोफेसर श्रीनाथ राघवन ने अपने लेख में इस दावे को गलत ठहरा चुके हैं. इस बारे में झूठ का प्रचार करना विदेश मंत्री का काम नहीं हैय उन्हें यह काम भाजपा के आईटी सेल के लिए छोड़ देना चाहिए.
रामचंद्र गुहा के इस ट्वीट पर जयशंकर ने जवाब भी दिया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, कुछ विदेश मंत्री किताबें भी पढ़ते हैं. यह कुछ प्रोफेसर के लिए भी अच्छी बात हो सकती है. इस मामले में मैं आपको मेरे द्वारा कल रिलीज की गयी किताब पढ़ने की सलाह देता हूं. नेहरू पर किताब लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बेबले ने हयी किताब में नेहरू पर किये दावे को खारिज किया है. उन्होंने वीपी मेनन किताब में किये गये दावे पर सवाल उठाते हुए 30 जुलाई 1947 का एक पत्र जारी किया है. नेहरू द्वारा लिखे गये इस पत्र में सरदार वल्लभभाई पटेल को कैबिनेट में शामिल किये जाने का निमंत्रण है.
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