
Lucknow : योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने 24 नवंबर को गैर कानूनी धर्मांतरण विधेयक, लव जिहाद कानून को मंजूरी दी थी, इस पर राज्यपाल ने आज यानी शनिवार को मुहर लगा दी है. खबर है कि राज्यपाल ने गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण पर रोक से जुड़े अध्यादेश, UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Ordinance 2020) को शनिवार को मंजूरी दे दी.
बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान वादा किया था कि राज्य में लव जिहाद को लेकर एक कानून पारित कराया जायेगा. सरकार के अनुसार इस कानून का मक़सद महिलाओं को सुरक्षा देना है.
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धर्म छिपाकर किसी को धोखा देकर शादी करने पर 10 साल की सजा
जान लें कि मध्य प्रदेश सरकार भी लव जिहाद पर कानून लाने की तैयारी कर चुकी है. हरियाणा, कर्नाटक औऱ सहित अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी लव जिहाद पर कानून लाने की कवायद शुरू है. इस प्रस्तावित कानून के तहत, धर्म छिपाकर किसी को धोखा देकर शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान है. तय है कि यूपी सरकार आगामी विधानसभा सत्र में लव जिहाद से जुड़े विधेयक लाकर इसे पारित करायेगी.
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नाबालिग,अनुसूचित जाति जनजाति की महिला के धर्मपरिवर्तन पर कड़ी सजा
विधेयक में प्रावधान है कि लालच ,झूठ बोलकर या जबरन धर्म परिवर्तन या शादी के लिए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जायेगा. नाबालिग,अनुसूचित जाति जनजाति की महिला के धर्मपरिवर्तन पर कड़ी सजा होगी. सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने वाले सामाजिक संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
साथ ही धर्म परिवर्तन के साथ अंतर धार्मिक शादी करने वाले को सिद्ध करना होगा कि उसने इस कानून को नहीं तोड़ा है. लडक़ी का धर्म बदलकर की गयी शादी को शादी नही माना जायेगा. कानून के अनुसार, ज़बरदस्ती प्रलोभन से किया गया धर्म परिवर्तन संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा.
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धर्म परिवर्तन के लिए फॉर्म भरकर दो माह पूर्प जिलाधिकारी को देना होगा
कानून को तोड़ने पर कम से कम 15 हज़ार रुपये जुर्माना और एक से पांच साल तक की सज़ा होगी. यही काम नाबालिग या अनुसूचित जाति या जनजाति की लड़की के साथ करने में कम से कम 25 हजार रुपये जुर्माना और 3 से दस साल तक की सजा होगी. गैरकानूनी सामूहिक धर्म परिवर्तन में कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माना और 3 से 10 साल तक की सजा होगी. धर्म परिवर्तन के लिए तयशुदा फॉर्म भरकर दो महीने पहले जिलाधिकारी को देना होगा. इसका उल्लंघन करने पर 6 महीने से 3 साल की सजा और कम से कम 10 हजार रुपये का फाइन होगा.