
Rakesh Ranjan
Jamshedpur : चुनाव क्या आया, बहार साथ लाया. जेठ की तपती दोपहरी में देवरों की तो मौजा ही मौजा. सविता भाभी के साथ मंगरू तो कविता के साथ झगरू. खदेरन की तो सदाबहार है. कल तक खदेरन को देखते ही नाक-भौं सिकोरनेवाली भाभियों का वह चेहता बन बैठा है. नजर पड़ते ही अपनी नाज ओ अदा से खदेरन पर प्यार लुटाती भाभी जान क्या हुईं, बबाले जान हो गई हैं.
खदेरन के दिन अच्छे कट रहे हैं. सविता भाभी हों या कविता बस -एक ही नारा, एक ही नाम. जीतेगी भाई जीतेगी, हमारी भौजी जीतेगी. भौजी का नाम ले लिया तो सोने पे सुहागा. दोपहरी में घर होते जाइएगा खदेरन बबुआ, मछली बनल है. खदेरन की मां का तो माथा दिन-रात चकरा रहा. नाशपीटा के की भइल हे भगवान. हर पल मदमस्त रहताअ. न कोई चिंता, न कोई फिकर.हर पल चेहरे पर मंद-मंद मुस्कान. बार-बार कुरेदने के बावजूद अपने धुन में मगन रहनेवाला खदेरन आज खुद को नहीं रोक पाया. माई अब कोनो चिंता नइखे. भाभी जीत रहल बारी. अब त उनके संग जीना, उनके संग मरना. आपन इलाका के कायाकल्प होई, पानी चौबीसो घंटे, बिजली भी चैबीस घंटे. कुछ बचल-खुचल होई तअ भाभी बरले बानी. अब अगुआ, बरतुहार भी आई, मोल-भाव करे के पूरा गुंजाइश रही. धूमधाम से हमार बारात निकली. तू खुशी-खुशी बारात विदा करिह. हम दुल्हिनिया लेके आइब, तू खुशी-खुशी परिछिहे. पोता होई, पोती होई, तू सबके खेलइहे अउर मगन रहिहे.
इ का रे करमजरू. मारे गरमी से तोरो मती का मरा गइल. पिछलो बार त तू एगो भइया के चक्कर में पड़ के घनचक्कर बनल रहे. ओही सपना जे अबकी भी देखतारे. पानी, बिजली और न जाने का, का. अब तू शादी-बियाह के ख्वाब देखे के छोड़ दे. अब कोई तोड़े जइसन मगफिरल बाप ही होई जे तोड़ा से आपन बेटी के रिश्ता जोड़िहें. पिछली बार खुद तअ एमकी ओकर बीवी. बीवी जितीहें तब भी पछिली बार की तरह लक्ष्मी ओकरे घर में बरसिहें और तूं ओकर घर के बाहर टुकुर-टुकुर ताकत रहिए. यही बीच झगरू पहुंचल त खदेरन के जोश आ गइल. लागल नारा रोहरावे- जीतेगी भाई जीतेगी, हमारी भउजी जीतेगी. मंगरू लक्ष्मी त खदेरन कविता के जिंदाबाद.


अरे खदेरन, इ कविता के का है रे… पढल-लिखन बानी. हम गिनावे लागब त कई दिन बीत जाई. रहे दे भाई पिछले चुनाव में तोहर भाई जीतलन त तू दरबान बन गइले, अबकी भउजी जीती त ओहो के गुंजाइश भी न बची. रहे दे हमको उम्मीद से. परखे दे नइकी भउजी के. ओइसे भी उनकी चूड़ियां खनकती है तो हमार दिल भी धड़कता है. त धड़के दे अभी.कम से कम तब तक, जबतक भउजी तोहार जीती या हमार. नारा तो ओही रहेगा- जीतेगी भाई जीतेगी, हमारी भौजी जीतेगी.
नोट- अगी किस्त में पढ़ें- मुझको राणाजी माफ करना…

