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Jamshedpur: झारखंड के औद्योगिक शहर जमशेदपुर की अधिकतर यूनियनों का चुनाव इलेक्शन की बजाय सेलेक्शन के जरिए होता है. यह बात अलग है कि ये यूनियनें इस सेलेक्शन को बैलेट पेपर का मुल्लमा चढ़ा इसे इलेक्शन का नाम देती हैं. पिछले एक माह में शहर में छह यूनियनों के चुनाव हुए हैं, लेकिन गंभीरता से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि यह इलेक्शन की बजाय सेलेक्शन ज्यादा रहा.
राकेश्वर पांडेय की चार यूनियनों में इलेक्शन का एक ही ट्रेंड
शहर की अधिकतर यूनियनों के अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय हैं. उनकी अध्यक्षता वाली चार यूनियनों के एक माह के अंदर चुनाव हो रहा है. ये हैं-टिनप्लेट वर्कर्स यूनियन, टाटा पावर वर्कर्स यूनियन, टीएसपीडीएल वर्कर्स यूनियन और तार कंपनी यूनियन. तार कंपनी का चुनाव 9 अप्रैल को है, जबकि बाकी तीन यूनियनों का चुनाव मार्च में हो चुका है. चारों यूनियनों में अमूमन चुनाव पदाधिकारी, उप चुनाव पदाधिकारी और ऑब्जर्वर एक ही रहे. यही नहीं, चुनाव का ट्रेंड भी समान है. औसतन एक कमेटी मेंबर के पद के लिए दो उम्मीदवार ही होते हैं. एकाध नाम वापस लेते हैं और कुछ निर्विरोध चुने जाते हैं. कमेटी मेंबरों के चुनाव के बाद अध्यक्ष पदाधिकारियों के नाम की घोषणा कर देते हैं.
1.टीएसपीडीएल इम्प्लाई यूनियन
- चुनाव तिथि-25 मार्च
- कुल कमेटी मेंबर्स-15
- कुल उम्मीदवार-30
- चुनाव पदाधिकारी-विनोद कुमार राय और परविंदर सिंह
- चुनाव ऑब्जर्वर-एचएम हीरामानेक
2.टाटा पावर इंप्लाइज यूनियन चुनाव - चुनाव तिथि-17 मार्च
- कुल कमेटी मेंबर्स-10
- कुल उम्मीदवार-16
- चुनाव पदाधिकारी- विनोद कुमार राय और परविंदर सिंह
- चुनाव ऑब्जर्वर- एचएम हीरामानेक
3.द गोलमुरी टिनप्लेट वर्कर्स यूनियन - चुनाव तिथि-5 मार्च
- कुल कमेटी मेंबर्स-35
- कुल उम्मीदवार- 68
- चुनाव पदाधिकारी-एसएन चौधरी और महेन्द्र मिश्रा
- चुनाव ऑब्जर्वर- एचएम हीरामानेक
4.तार कंपनी यूनियन - चुनाव तिथि-9 अप्रैल
- कुल कमेटी मेंबर्स-28
- कुल उम्मीदवार- 54
- चुनाव पदाधिकारी-विनोद कुमार राय और परविंदर सिंह
- चुनाव ऑब्जर्वर- एचएम हीरामानेक
टिमकेन और पिगमेंट्स में भी हुए चुनाव
इन चार यूनियनों के अलावा इस बीच टाटा पिग्मेंट्स यूनियन और टिमकेन वर्कर्स यूनियन के भी चुनाव हुए. टाटा पिगमेंट्स यूनियन के चुनाव पर आरोप लगा कि विनोद कुमार सिंह ने चुपके से चुनाव करा लिया. टिमकेन वर्कर्स यूनियन के चुनाव में भी प्रबंधन की भूमिका अहम रही. यूनियन के सूत्रों का कहना है कि पिछले दो बार से चुनाव जीत कर आ रही गिरवरधारी को प्रबंधन ने काम नहीं करने दिया. इससे मजदूरों में यह संदेश गया कि अगर प्रबंधन से काम कराना है तो विजय गुट को जीताना जरूरी है.
क्या वैध है ये चुनाव
ट्रेड यूनियन के जानकार कहते हैं रजिस्ट्रर्ड इलेक्शन रूल के बगैर चुनाव महज नौटंकी है. ऐसे चुनाव का कोई महत्व नहीं होता है, क्योंकि इसे निबंधक की ओर से मान्यता नहीं दी जाती. अगर कोई निबंधक ऐसी यूनियनों का नाम फॉर्म बी में दर्ज करता है तो वह कानून की नजर में गलत है और निबंधक इसके लिए दोषी है.
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