
New Delhi: 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने 25-26 फरवरी की रात में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप को निशाना बनाया था. उच्चपदस्थ सरकारी सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस ऑपरेशन में मदरसा तालीम-उल-कुरान के परिसर की 4 इमारतों को नुकसान पहुंचा. सूत्रों ने कहा कि इस समय तकनीकी इंटेजिलेंस की सीमाओं और ग्राउंड इंटेलिजेंस की कमी के चलते हमले में मारे गए आतंकियों का कोई भी आंकलन करना “पूरी तरह काल्पनिक” होगा. खुफिया एजेंसियों के पास सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) की तस्वीरों के रूप में सबूत मौजूद हैं, जिसमें दिख रहा है कि लक्ष्य बनाई गईं 4 इमारतों को IAF के मिराज-2000 लड़ाकू जेट्स ने पांच S-2000 प्रिसिजन-गाइडेड म्यूनिशन (PGM) के जरिए ध्वस्त किया.
पाकिस्तान ने पुष्टि की है कि इलाके पर भारत ने हमला किया था, मगर इससे इनकार किया है कि वहां कोई आतंकी कैंप थे या किसी तरह का नुकसान हुआ है. एक अधिकारी ने अखबार से कहा, “हमले के बाद पाकिस्तानी सेना ने मदरसे को सील क्यों कर दिया? पत्रकारों को मदरसे में जाने क्यों नहीं दिया गया? हमारे पास SAR इमेजरी के रूप में सबूत हैं कि एक इमारत गेस्ट हाउस की तरह इस्तेमाल हो रही थी, जहां मौलाना मसूद अजहर का भाई रहता था. एक L आकार की इमारत है जहां ट्रेनर्स रहा करते थे, एक दो-मंजिला बिल्डिंग रंगरूटों के लिए थी और एक अन्य इमारत में वो रहते थे जिनकी ट्रेनिंग आखिरी दौर में होती थी. इन सभी को बमों से निशाना बनाया गया.”
अधिकारी ने आगे कहा, “यह राजनैतिक नेतृत्व को तय करना है कि तस्वीरें सार्वजनिक करनी हैं या नहीं, जो कि अभी ‘वर्गीकृत’ श्रेणी में हैं. SAR की तस्वीरें सैटेलाइट की तस्वीरों जितनी साफ नहीं हैं और हम मंगलवार (26 फरवरी) को अच्छी सैटेलाइट तस्वीरें इसलिए नहीं ले सके क्योंकि घने बादल थे. उनसे विवाद ही खत्म हो जाता.”
द इंडियन एक्सप्रेस से अधिकारी ने कहा, “मदरसे को बेहद सावधानी से चुना गया था क्योंकि यह वीरान जगह पर था और किसी नागरिक के मारे जाने की संभावना न के बराबर थी. वायुसेना को मिली सूचनाएं सटीक और सही वक्त पर मिलीं.” उन्होंने कहा कि वायुसेना ने इमारतों को इजरायली बमों के जरिए निशाना बनाया. ये बम इमारत को नष्ट नहीं करते, बल्कि इमारत में घुसने के बाद नुकसान करते हैं.
वायुसेना ने इजरायल से मिले S-2000 PGM का इस्तेमाल किया. एक सैन्य अधिकारी के अनुसार, S-2000 बेहद सटीक, जैमर-प्रूफ बम है जो घने बादलों में भी काम करता है. उन्होंने बताया, “यह पहले छत के जरिए भीतर घुसता है, फिर कुछ देर के बाद विस्फोट होता है. यह बम कमांड और कंट्रोल सेंटर उड़ाने के लिए है और इमारत को नुकसान नहीं पहुंचाता. सॉफ्टवेयर में छत किस प्रकार की है- उसकी मोटाई, मैटीरियल क्या है, यह फीड करना पड़ता है. इसी के हिसाब से PGM कितनी देर बाद फटेगा, यह तय किया जाता है.”
सरकारी अधिकारी ने कहा कि इन इमारतों की छतें नालीदार जस्ती लोहे (CGI) की चादों से बनी थीं और SAR तस्वीरों से पता चलता है कि हमले के अगले दिन, ये छतें गायब हो गई थीं. CGI छतों को दो दिन बाद रिपेयर कर दिया गया, इससे तकनीकी इंटेलिजेंस को नुकसान का पूरा आंकलन करने में मुश्किल हो रही है. मदरसे के आस-पास के इलाके की पाकिस्तानी सेना मुस्तैदी से रक्षा करती है, ऐसे में मौके पर जमीनी इंटेलिजेंस का अभाव है. इससे एयर स्ट्राइक से कुल नुकसान और मारे गए आतंकियों की संख्या का पता नहीं लग पा रहा.
अधिकारी ने कहा, “पूरी जगह को पाकिस्तानी सेना ने सील कर दिया है. हम किसी तरह के विश्वासपात्र खुफिया इनपुट्स नहीं हासिल कर पा रहे. एयर स्ट्राइक में हताहत आतंकियों की संख्या का कोई भी आंकड़ा पूरी तरह काल्पनिक है.” सूत्रों ने इस बात से भी इनकार किया है वायुसेना के बम जाबा गांव की उस पहाड़ी पर जाकर लगे जहां पाकिस्तानी सेना कुछ पत्रकारों को गड्ढे, गिरे हुए पेड़ दिखाने ले गई थी. सैन्य अधिकारी ने कहा, “अगर केवल S-2000 PGM फायर किए गए तो गड्ढों या टूटे पेड़ों की कोई संभावना नहीं है. PGM धरती के भीतर जाकर फटता है, जिससे एक टीला जरूर बन जाएगा.”
एक अन्य सैन्य अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि वायुसेना लक्ष्य पर बम बरसाने के लिए एलओसी पार करना चाहती थी. बाद में तय हुआ कि वह “एलओसी के इस तरफ” से PGM फायर किए जाएंगे. अधिकारी के अनुसार, S-2000 PGM को करीब 100 किलोमीटर की दूरी से फायर किया जा सकता है. द इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तानी दावों के उलट, भारतीय वायुसेना का कोई एयरक्राफ्ट एलओसी पार कर नहीं गया. IAF द्वारा रडार डेटा की समीक्षा के अनुसार, नजदीकी पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर था.
ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) भारतीय वायुसेना के उस जाल में फंस गई जिसमें यह इशारा किया गया था कि वह दक्षिणी पंजाब के एक शहर की ओर हमला करने जा रही है. PAF ने उस खतरे के लिए अपने एयरक्राफ्ट हवा में उतार दिए और एलओसी को हमले के लिए खुला छोड़ दिया. दूसरे अधिकारी ने यह भी बताया कि चूंकि जब एयरस्ट्राइक हुई तो नागरिक उड़ानों के लिए हवाई मार्ग बंद नहीं किया गया था, ऐसे में सरकार को वायुसेना के लिए एक ‘डार्क कॉरिडोर’ तैयार करना पड़ा ताकि लड़ाकू विमानों के इतने बड़े बेडे़ को ले जाया जा सके.
इसका मलब यह है कि इन लड़ाकू विमानों को संदेह और अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड़ानों की मॉनिटरिंग से बचने के लिए लंबा रूट लेना पड़ा. अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तानी वायुसेना के जवाब के लिए तैयारियां की गई थीं. वायुसेना ने एयर डिफेंस यूनिट्स और ग्राउंड डिफेंस यूनिट्स को उच्चतम अलर्ट पर रखा था.
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