
Shweta Kumari
झारखंड में बहुमत की सरकार है. सरकार के मुखिया को इसका गुमान भी है. अक्सर कहते हैं कि हमने हर क्षेत्र में बहुत काम किया. झारखंड में सबका साथ और सबका विकास हो रहा है. इसे परखने के लिए न्यूज विंग ने “घोषणा करके भूल गयी सरकार” नाम से एक सीरीज शुरु की है. आज हम सरकार के तीन सालों के कार्यकाल के बाद 13 जुलाई 2017 को की गयी घोषणाओं और लिये गये फैसलों की बात करेंगे.
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वर्ष 2017 का जुलाई महीना, सरकार के लिए महत्वपूर्ण महीना था. बहुमत और जीरो टॉलरेंस वाली सरकार के 1000 दिन पूरे होने वाले थे. लिहाजा सरकार 1000 दिन की उपलब्धि को जनता के बीच ले जाने और नई-नई घोषणाएं करने में व्यस्त थी. 13 जुलाई को मुख्यमंत्री ने उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास के हवाले से जो खबर मीडिया में छपी, वह थी, गरीबों की खुशहाली के लिए बनायी गयी अंब्रेला स्कीम. इस स्कीम के बारे में न तो उस वक्त अफसरों को ज्यादा जानकारी थी और ना ही आज है. तब मीडिया को सिर्फ यह बताया गया था कि मुख्यमंत्री ने गरीबों की खुशहाली के लिए अंब्रेला स्कीम बनाने का निर्देश दिया है. इसमें किसी एक कार्य की बजाय समग्र रुप से उन सभी कार्यों को एक छतरी के नीचे लाया जायेगा. जो गरीबों के कल्याण से संबंधित है.
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मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया था कि 15 दिनों के भीतर वैसे नियमों को समाप्त कर दिया जायेगा, जो आज के समय में अप्रसांगिक हो गये हैं. यह काम साल भर बीतने के बाद भी नहीं हुआ है.
मुख्यमंत्री ने सभी विभागों के सचिव को निर्देश दिया था कि सप्ताह में एक दिन दूसरे जिले के दौरे पर जायें. सचिवों की रिपोर्ट मंगाकर देख लीजिये. कोई भी सचिव दूसरे जिलों में नहीं जा रहे हैं.
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वर्ष 2015 में 13 जुलाई को ही मुख्यमंत्री ने रामगढ़ के पतरातू में बर्नपुर सीमेंट प्लांट का उद्घाटन किया था. कहा था कि पहले फेज के काम का शुभारंभ हो गया है. रोजाना 800 टन सीमेंट का उत्पादन होगा. अक्टूबर में दूसरे फेज का उद्घाटन होगा. मुख्यमंत्री ने कहा था, पहली बार राज्य में औद्योगिक यूनिट का उद्घाटन कर रहा हूं. झारखंड के लिए आज का दिन ऐतिहासिक दिन है. पतरातू के लोग भी इस प्लांट से बहुत ज्यादा आशान्वित थे. लेकिन लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई.
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