
Ranchi : झारखंड में बालू और माइका का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है.राज्य के गिरिडीह और कोडरमा में आज भी माइका का अवैध कारोबार चल रहा है, जिसमें कई लोग मालामाल हो रहे हैं. माइका के अलावा बालू का भी अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य में बालू उठाव पर प्रतिबंध के बाद भी बालू का उठाव धड़ल्ले से जारी है .
गिरिडीह का तिसरी गांव है अवैध खनन का मेन अड्डा
खनिज संपदा से संपन्न गिरिडीह जिले का तिसरी गांव है. तीसरी गांव पहुंचने पर ऊंचे ऊंचे पहाड़ दिखेंगे. दूर से देखने पर तो लगेगा जैसे यहां सब कुछ सामान्य है, लेकिन आप जैसे ही पहाड़ों की ओर जाएंगे थोड़ा मन में डर लगेगा कि कोई अनहोनी ना हो जाए. पहाड़ों के नजदीक या पहाड़ों के उस पार पहुंचने पर आपको कुछ लोग आपराधियों जैसे दिखेंगे. आप पहाड़ पर पहुंचेंगे तो आपको दिखेगा सैकड़ों की संख्या में लोग पहाड़ों की खुदाई कर रहे हैं. पहाड़ों की खुदाई कर अभ्रक निकाल रहे है जिससे स्थानीय भाषा में ढिबरा कहा जाता है.
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जान जोखिम में डालकर लोग निकालते हैं ढिबरा
बंद पड़ी खदानों से अभ्रक का खनन दशकों से प्रतिबंधित है पर सैकड़ों परिवार अभी भी जान जोखिम में डालकर जंगलों से इसे निकालते हैं. इसके बाद बहुत मामूली कीमत पर बिचौलियों को बेच देते हैं. ये बिचौलिये कोलकाता के रास्ते दूसरे देशों में बेचते हैं. इनका दावा है कि गैरकानूनी तरीके से निकाली गयी अभ्रक की बड़ी डिमांड पड़ोसी मुल्क में है.
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झारखंड मे़ वर्षों पहले अभ्रक खनन पर रोक लगा दी गयी थी. पर न तो अभ्रक के खानों पर कोई काम हुआ और न ही उससे प्रभावित लोगों का पुनर्वास. नतीजा यह कि आज भी कई वर्षों से अवैध रूप से अभ्रक खनन जारी है.