
Ranchi. सांसद संजय सेठ ने आज रांची में बिजली, ट्रैफिक, स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला. प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अविभाजित बिहार के समय भी बिजली सेवा इतनी बदहाल नहीं थी. अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी ऐसे हालात नहीं देखे. अभी राजधानी रांची में 6-8 घंटे बिजली ही पिछले 3 माह से नसीब हो रही है. ग्रामीण इलाकों में तो 3-4 घंटे भी दर्शन नहीं. इससे बच्चों की पढ़ाई, व्यापार, सिंचाई और दूसरे कार्यों पर गहरा असर पड़ रहा है. इसी व्यवस्था में बाहर से निवेशकों को बुलाने को रोड शो होता है. 500 करोड़ का भुगतान की खातिर बिजली सेवा अभी पस्त है. जेबीवीएनएल के एमडी से पिछले दिनों उन्होंने और विधायकों ने भेंट कर समाधान का आग्रह किया था पर वे भी कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं. मुख्यमंत्री, मंत्रियों का चेहरा चमकाने को फ्लैक्स, बैनरों के लिए पैसे हैं पर बिजली के भुगतान के लिए सरकार की जेब खाली है. या तो फिर सरकार बिजली दे या गद्दी छोडे.
बदहाल स्वास्थ्य सेवा
सांसद ने रिम्स, रांची में लचर होती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी राज्य सरकार को घेरा. कहा कि हाईकोर्ट भी इस पर टिप्पणी कर चुका है. उम्मीद थी कि नये डायरेक्टर के तौर पर रांची के ही कामेश्वर के आने के बाद हालात बेहतर होंगे, पर हुआ नहीं. पहले तीन सालों से सप्लायरों को आपूर्ति के एवज में भुगतान नहीं हुआ है. ऐसे में अब मामूली पैथोलॉजी जांच भी नहीं हो पा रही. रिम्स शासी परिषद की बैठक केवल एजेंडा पास कराने को होती है. अबकी 6 दिसम्बर को होने वाली बैठक में वे जोरदार विरोध करेंगे. स्वास्थ्य मंत्री केवल फीता काटने भर तक सीमित हैं. सांसद ने इडी द्वारा पल्स अस्पताल, रांची को टेक ओवर किए जाने की संभावनाओं पर कहा कि ऐसा होता है तो इस अस्पताल को अपने अंदर लेने के बाद इसे इडी जनकल्याण के वास्ते किसी जवाबदेह एनजीओ, रामकृष्ण मिशन या अन्य को इसके संचालन का मौका दे.
तुष्टिकरण की राजनीति
संजय सेठ के मुताबिक रांची मेन रोड दंगा मामले में हेमंत सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करने लगी है. दोषियों, अपराधियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ वाजिब एक्शन लेने की बजाय जांच समिति को अवधि विस्तार ही नहीं दिया. शहर में 10 हजार उपद्रवी रांची की सड़कों पर उतर कर इसे तबाही की आग में झोंकने वाले थे. अब सरकार उन्हें सजा दिलाने की बजाय तुष्टिकरण पर लगी है.
पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत करते सांसद ने कहा कि नि:शुल्क अनाज पिछले तीन- चार माह से कार्डधारकों को नहीं मिला है. इसमें डीएसओ, डीलर और अन्य मालामाल हो रहे हैं. गरीब के निवाले पर डाका पड़ रहा है. रांची की ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई हुई है. ढाई सालों से ट्रैफिक एसपी नहीं है. संभवतः यह देश की इकलौती राजधानी होगी, जहाँ बगैर ट्रैफिक एसपी के ही ट्रैफिक को संभालने की नकली कवायद हो रही.