
New Delhi: अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव ने भारत की टेंशन बढ़ा दी है. हमले में ईरान के टॉप मिलिट्री कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिका ने ईरान पर एक और एयर स्ट्राइक किया है और इसमें छह लोगों की मौत हो गयी है.
इन परिस्थितियों ने भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है. मामले को लेकर वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय ने शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की. बैठक में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़े तनाव और उसके प्रभाव को लेकर चर्चा हुई.
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इस बैठक से पहले पेट्रोलियम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भी एक आंतरिक बैठक हुई. जिसके बाद मंत्रालय के अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की.
इस उच्च स्तरीय बैठक में अमेरिका और ईरान के बीच बनते युद्ध की स्थिति से भारत में तेल की सप्लाई बाधित होने और भारत के कर्ज की स्थिति प्रभावित होने को लेकर बात हुई. बदलते हालात को लेकर अधिकारियों को इस स्थिति से निपटने को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए.
तेल निर्यात पर पड़ेगा असर
उल्लेखनीय है कि इराक, सऊदी अरब, ईरान और यूएई देशों से भारत तेल निर्यात करता है. वहीं अमेरिका और ईरान के बीच बिगड़ते रिश्ते के कारण अगर बात युद्ध तक पहुंचती है तो भौगोलिक कारणों से भारत समेत तेल निर्यात करने वाले सभी देशों पर इसका असर पड़ेगा.
माना जा रहा है कि इससे तेल की कीमतों में 10 डॉलर प्रति बैरल का इजाफा हो सकता है. तेल के दाम बढ़ने से पहले ही अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार से परेशान भारत की ग्रोथ पर्सेंटेज में भी 0.2-0.3 प्रतिशत का निगेटिव प्रभाव पड़ सकता है. गौरतलब है कि पहले से ही भारत का मौजूदा कोषीय घाटा 9-10 बिलियन डॉलर है.
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