
Ranchi: कल तक घर की देहरी से बाहर नहीं निकलने वाली गांव की आदिवासी महिलाएं आज होटल संभाल रही हैं. इन महिलाओं ने खुद को सशक्त बनाकर मिसाल कायम किया है. तोरपा प्रखंड परिसर में महिलाओं द्वारा संचालित दीदी कीचन आज एक जाना पहचाना नाम बन गया है. दी कीचन में खाना बनाने, ग्राहकों को परोसने, साफ सफाई,काउंटर से लेकर सारा काम खुद संभालती हैं. दीदी कीचन में घर जैसा खाना मिलता है.
पुटकल साग की चटनी और कुर्थी दाल भी
सुबह के नास्ते में इडली,गुलगुला. दोपहर के खाने में चावल,रोटी, दाल,सब्जी,चिकन,मटन मिलता है. झारखंडी व्यंजन पुटकल साग की चटनी,कुर्थी दाल,साग झोर लोग खूब पंसद करते हैं. प्रखंड कार्यालय के कर्मी यहीं का चाय पीना पसंद करते हैं.
पहले दिन मात्र दो सौ रूपया सेल हुआ था
पहले दिन मात्र दो सौ रूपया सेल हुआ था-दीदी कीचन 25 जनवरी 2019 से चल रहा है. छह महिलाओं ने मिलकर होटल शुरू किया था. नमलेन लुगुन के नेतृत्व में सलोमी गुडिया, कांति तोपनो, जीरेन भेंगरा, एलेन गुडिया और मगदली गुड़िया मिलकर सफलतापूवर्क होटल चला रही हैं.
शुरू में झिझक हो रही थी पर अब ठीक है
नमलेन बताती है कि होटल खोलने में शुरू में झिझक हो रही थी. महिला संघ से जुड़ने के बाद आत्मविश्वास बढ़ा. जेएसएलपीएस की ओर से प्रशिक्षण दिलाया गया. उन्होंने बताया कि होटल शुरू होने के पहले दिन मात्र दो सौ रूपया सेल हुआ था. अब होटल अच्छा चलने लगा है आमदनी भी होने लगी है. अब वो आत्मनिर्भर हो गयी है. होटल के साथ-साथ महिलाएं परिवार भी संभाल रही हैं.
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