
Ranchi : राज्य के नगर निकायों में नक्शे स्वीकृति में पैसों के खेल मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेते हुए झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. गुरूवार को हाईकोर्ट में दोनों पालियों में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण मौखिक टिप्पणियां मामले की सुनवाई के दौरान की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से वहां मौजूद आरआरडीए उपाध्यक्ष मुकेश कुमार और रांची नगर आयुक्त शशि रंजन को लेकर अपनी टिप्पणी में कहा कि क्यों नहीं सस्पेंड कर दिया जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि क्यों नहीं आरआरडीए और रांची नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी जैसे सीबीआई से कराई जाए. कोर्ट ने एक जनवरी 2022 से लेकर 30 नवंबर 2022 तक नए बिल्डिंग से संबंधित वैसे नक्शा आवेदनों के बारे में जानकारी मांगी जिसे किसी आपत्ति के आधार पर आरआरडीए या नगर निगम ने वापस कर दिया गया है. कोर्ट ने मुख्य सचिव से भी बताने को कहा है कि 29 नवंबर को स्थानीय एक दैनिक समाचर पत्र में रांची नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार से संबंधित खबर छपने के बाद क्या कार्रवाई की गई है. लंबित स्वीकृत पद पर नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र इकाई बनाने का भी कोर्ट ने सुझाव देते हुए पूछा है कि इसमें क्या किया जा सकता है. साथ ही नक्शा से सबंधित किसी भी प्रकार के शिकायतों की सुनवाई के लिए भी एक समिति बनाने की भी बात कही. मामले में अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी.
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इससे पूर्व कोर्ट ने पहली पाली में नक्शा पास करने में अवैध वसूली पर हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त और आरआरडीए उपाध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई. साथ ही कोर्ट ने रांची नगर निगम से नक्शा स्वीकृति पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है. कोर्ट ने मौखिक कहा कि नक्शा स्वीकृति जैसे मामलों में पारदर्शिता बरतनी चाहिए. कोर्ट ने आरआरडीए और नगर निगम में कितने जूनियर इंजीनियर और टाउन प्लानर है इसका ब्योरा कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मौखिक कहा कि आरआरडीए में 1982 के बाद से कोई स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है नगर निगम में भी पिछले 20 वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई है कांट्रैक्ट बेसिस पर कर्मियों से काम कराया जा रहा है.सुनवाई के दौरान नगर आयुक्त और आरआरडीए के उपाध्यक्ष कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए. अपने मामले में जेपीएससी को भी प्रतिवादी बनाया है. मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी.
बता दें कि इससे संबंधित खबर रांची के स्थानीय समाचार पत्र में छपी थी, जिस पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई. कोर्ट ने इस मामले को एलपीए 132 / 2012 के साथ टैग करने का निर्देश दिया था. बता दें कि 20-30 रुपए प्रति वर्ग फीट चढ़ावा, तब पास होता है नक्शा शीर्षक से यह खबर छपी हुई है. इसमें कहा गया है की राज्य के नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति के लिए अधिकतम शुल्क 8 रुपया प्रति वर्ग फीट है लेकिन निकायों में तय शुल्क के अलावा 30 रुपए प्रति वर्ग फीट तक चढ़ावा देकर नक्शा की स्वीकृति प्राप्त किया जाता है. नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति के हर चरण पर चढ़ावे की रकम फिक्स कर दी गई है.
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