
Chandi Dutta Jha
Ranchi: ईडी पिछले सात महीनों में मनी लॉड्रिग मामले में झारखंड में ताबड़तोड़ छापेमारी की है. इस दौरान ईडी ने करीब 100 करोड़ की चल-अचल कई संपत्तियों को जब्त किया है. बीते गुरुवार को ईडी ने निलंबित आइएएस अधिकारी और पूर्व खान सचिव पूजा सिंघल की करीब 82.77 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है. ईडी द्वारा अटैच की गयी संपत्ति में पल्स सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, एक डायग्नोस्टिक सेंटर और जमीन के दो प्लॉट शामिल हैं. 18.06 करोड़ रुपये मनरेगा घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर ईडी ने संपत्ति अटैच करने की कार्रवाई की है. ईडी जब कहीं छापेमारी करती है तो टैक्स चोरी किया हुआ पैसा और दूसरी चीजें जब्त करती है. ईडी इन दिनों जबरदस्त एक्शन में भी नजर आ रही है. व्यापारियों, नेताओं और नौकरशाहों के खिलाफ कार्रवाई में जुटी है. इन छापों के मद्देनजर सवाल यह उठता है कि आखिर ईडी जब्त की गई इस नकद राशि का करती क्या है ? वह कौन सा ठिकाना है जहां करोड़ो की राशि को रखा जाता है? वहीं जिन प्रॉपर्टी को अटैच किया जाता है उनका क्या होता है? चलिए आपको बताते हैं:
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आरोपी के दोषी होने पर केद्र का होता है जब्त रुपया
ईडी जब नगद, सामग्री या प्रॉपर्टी जब्त के बाद उसका आंकलन कर एक विस्तृत रिपोर्ट या पंचनामा बनाकर फाइल किया जाता है. ईडी बैंक के अधिकारियों को बुलाकर नोट गिनने की मशीन की मदद से नोटों की गिनती कर बैंक अधिकारियों की मौजूदगी में जब्ती सूची तैयार करती हैं. इन जब्त रुपये को ईडी के किसी भी सरकारी बैंक अकाउंट में जमा कर देती है. अगर जब्त रुपये, सामान या जेवरात पर किसी भी तरह का निशान हो तो ईडी उसे सील किए हुए लिफाफे में रखती है, जिससे उसे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सके. ईडी द्वारा जब्त रुपयों का इस्तेमाल ईडी, बैंक या सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता. एजेंसी एक अंतिम कुर्की आदेश तैयार कर जारी करती है. कुर्की की पुष्टि करने के लिए मामला अदालत के सामने जाता है. इसके बाद मुकदमा समाप्त होने तक पैसा बैंक में पड़ा रहता है. आरोपी के दोषी ठहराये जाने पर जब्त रुपये केंद्र की संपत्ति हो जाती है. वही अदालत द्वारा आरोपी को बरी किये जाने पर जब्त रुपये वापस कर दी जाती है.
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सुनवाई जारी रहने के दौरान भी संपत्ति का इस्तेमाल कर सकता है आरोपी
ईडी पीएमएलए के मुताबिक केवल 180 दिन तक ही प्रॉपर्टी को अपने पास रख सकती है. मतलब कोर्ट में अगर आरोपी साबित हो जाता है तो प्रॉपर्टी सरकार की और अगर नहीं होता है तो प्रॉपर्टी जिसकी थी उसी की हो जाती है. कई बार ऐसा भी होता है कि ईडी जिस संपत्ति को अटैच कर रही है उस मामले की अदालत में सुनवाई जारी रहने के दौरान आरोपी उस संपत्ति का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन फाइनल फैसला कोर्ट का ही होता है कि प्रॉपर्टी किसके पास जाएगी. मतलब अदालत अगर प्रॉपर्टी सीज करने का आदेश देती है तो प्रॉपर्टी पर हक सरकार का हो जाता है अगर ईडी आरोपी पर आरोप साबित नहीं कर पाती है तो प्रॉपर्टी मालिक को वापस कर दी जाती है. कई बार कोर्ट प्रॉपर्टी के मालिक पर कुछ फाइन लगाकर प्रॉपर्टी वापस लौटा दी जाती है.