
Ranchi : रांची की सबसे पॉश कॉलोनी में मंगलवार सुबह को ईडी ने दस्तक दी. ठिकाना था रोड नंबर छह स्थित विशाल चौधरी का आलीशान बंगला. पत्रकारों को जब इस बात की सूचना मिली, तो भीड़ जमा होने लगी. गेट से झांक कर देखने पर केंद्रीय पुलिस बल के अलावा एक काली एमजी ग्लॉस्टर एसयूवी, एक टोयोटा इनोवा और एक मारुति वैगन आर दिखी. बाकी अंदर जो देखना था वो ईडी के अधिकारी देख रहे थे. रेड होने के बाद एक से बढ़ कर एक बात सामने आने लगी.
इन सभी बातों में जो सबसे मजेदार बात थी, वो थी इनके ब्यूरोक्रेसी कनेक्शन की. चर्चा किसिम-किसिम की. कई बार फिल्टर करने के बाद न्यूज विंग आपको विशाल चौधरी और ब्यूरोक्रेट्स के कनेक्शन का ट्रेलर दिखाने की कोशिश कर रहा है. बाकी फिल्म आप खुद ही बना लें.
कमाल की रोशनी है विशाल चौधरी के पास


झारखंड रोशन होने के लिए लगातार प्रयासरत है. लेकिन हो नहीं पा रहा. लेकिन विशाल चौधरी के पास कमाल की रोशनी थी. ब्यूरोक्रेट्स के अंदर की तमाम गहराइयों को यूं भांप जाते थे. अपने अंदर की रोशनी से वो ब्यूरोक्रेट्स को झट रोशन कर देते थे. एक जमाना था कि एक पूरे विभाग की ट्रांस्फर पोस्टिंग की फाइल इनके यहां तैयार होती थी. ठेका-पट्टे का सारा हिसाब-किताब यहीं तय होता था. कहने वाले कह रहे हैं कि इस काम के लिए वो ब्यूरोक्रेट्स की हर डिमांड पूरी कर देते थे. हर तरह मतलब ‘हर तरह’ की डिमांड. जाहिर सी बात है कि इस काम के लिए इन्हें जो रकम मिलती होगी, उसे गिनने के लिए तो ईडी को नोट गिनने वाली मशीन लगानी ही पड़ेगी.


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अब झारखंड की सुरक्षा व्यवस्था का भी रखने लगे थे ख्याल
अपने अंदर तमाम तरह की ऊर्जा भर जाने के बाद अब ये दूसरे विभाग के कामों में भी हाथ बंटाने की कोशिश करने लगे. हाल में एक बड़ी नीति में सरकार ने उलट-फेर किया है. गला तर और मिजाज टुन करने वाली नीति. ये वहां पहुंच गये. कहने लगे मैं झारखंड में इस विभाग को सुरक्षा दूंगा. जितने सिक्योरिटी गार्ड चाहिए, मैं ही सप्लाई करूंगा. लेकिन अफसोस रेट निगोशिएट नहीं कर पाये. लेकिन इन्होंने तो ठान ली थी कि ये सुरक्षा देकर ही रहेंगे. तो आखिर में इन्हें सफलता मिली. लेकिन फिर से अपने पुराने वाले विभाग में ही. पता चला है कि 1500 से ज्यादा गार्ड की सप्लाई का ठेका इन्होंने ले ही लिया. अब नोट गिनने वाली मशीन तय करे कि उसके लिए क्या रेट लगा होगा.
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