
Jamshedpur: विजया एकादशी का व्रत कर भगवान श्रीराम ने लंका विजय की नींव रखी थी. इस बार 26 फरवरी शनिवार फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को विजया एकादशी मनाई जाएगी. जो कोई जातक इस विजया एकादशी व्रत के महात्म्य को पढ़ता या सुनता है, वैसे प्राणियों को वाजपेय यज्ञ करने जैसा फल प्राप्त होता है. इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को हर काम में सफलता और विजय प्राप्त होती है. यह सब व्रतों से उत्तम व्रत कहलाता है. 26 फरवरी को सुबह 10.49 बजे से लेकर 27 फरवरी सुबह 8.12 बजे तक एकादशी तिथि रहेगी.
ज्योतिषाचार्य पंडित रमाशंकर तिवारी के मुताबिक विजया एकादशी के दिन ऋतु बसंत, आयन उत्तरायण, तिथि एकादशी, नक्षत्र मूल सुबह 10.32 बजे तक योग सिद्धि रात के 08.52 बजे तक रहेगा. सूर्योदय सुबह 06.50 बजे और सूर्यास्त शाम 06.19 बजे होगा. चंद्रोदय अहले सुबह 04.27 बजे पर और चंद्रास्त दिन के 01.35 बजे होगा. सूर्य कुंभ राशि में और चंद्रमा धनु राशि में है. दिनमान 11 घंटा 29 मिनट का रहेगा, जबकि रात्रिमान 12 घंटा 29 मिनट का होगा. आनंददि योग गंद दिन के 12.12 बजे तक इसके बाद मातड्ग योग हो जायेगा. होमाहुति राहु, 12.12 बजे तक इसके बाद केतु का आगमन होगा. दिशा शूल पूर्व, राहूवास पूर्व, अग्निवास आकाश 10.39 बजे तक इसके बाद पाताल, चन्द्र वास पूर्व और भद्रवास पाताल सुबह 10.39 बजे तक रहेगा.
इस मुहूर्त में पूजन करना रहेगा शुभ
पंडित रमाशंकर तिवारी ने बताया कि अभिजीत मुहूर्त दिन के 12.11 बजे से लेकर दोपहर 12.57 बजे तक है. विजया मुहूर्त 02.29 बजे से लेकर 3.15 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त 06.07 बजे से लेकर 06.31 बजे तक, सायाह्य संध्या मुहूर्त 06.19 बजे से लेकर 07.34 बजे तक, निशिता मुहूर्त रात 12.09 बजे से लेकर 12.59 बजे तक, ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05.09 बजे से लेकर 05.59 बजे तक और प्रातः संध्या मुहूर्त सुबह 05.34 बजे से लेकर 06.49 बजे तक रहेगा. इस दौरान चारों पहर की पूजा अर्चना करना शुभ होगा. पंचांग के अनुसार सुबह 09.42 बजे से लेकर 11.08 बजे तक राहुकाल, सुबह के 06.50 बजे से लेकर 08.16 बजे तक गुलिक काल, दिन के 02.00 बजे से लेकर 03.26 बजे तक यमगण्ड काल, 06.50 बजे से लेकर 08.21 बजे तक दुर्मुहूर्त काल और वज्रय काल सुबह 09.03 बजे से लेकर 10.32 बजे तक रहेगा. इसके बाद शाम 7.27 बजे से लेकर रात 8.56 बजे तक रहेगा. इस दौरान पूजा अर्चना करने से लोगों को बचना चाहिए.


ये है व्रत का महात्म्य
विजया एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. जो व्यक्ति विजया एकादशी व्रत करना चाहता है उसे व्रत के एक दिन पहले यानी दशमी के दिन एक बार ही शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए. विजया एकादशी के दिन सबसे पहले व्रत का संकल्प लें. इसके बाद धूप, मौसमी फल, घी एवं पंचामृत आदि से भगवान भगवान विष्णु की पूजा करें. विजया एकादशी की रात जाग करना अर्थात रातभर सोना नहीं चाहिए. सिर्फ भगवान का भजन कीर्तन एवं सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. रात्रि जागरण करना शुभ और फलदाई होता है. द्वादशी अर्थात पारण के दिन भगवान विष्णु का पूजन करने का विधान है. पूजन के बाद भगवान को भोग लगाकर लोगों के बीच प्रसाद वितरण करना चाहिए. प्रसाद वितरण के बाद ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए. अपनी क्षमता के अनुसार दान-दक्षिणा देना चाहिए. अंत में स्वयं भोजन कर उपवास खोलना चाहिए.




ये है पूजा सामग्री
पूजा सामग्री के रूप में भगवान विष्णु को स्नान कराने के लिए तांबे और पीतल का लोटा या पात्र, जल का कलश, दूध, भगवान विष्णु को पहनाने के लिए वस्त्र और आभूषण, अरवा चावल, कुमकुम, दीपक, जनेऊ, तिल, फूल, अष्टगंध, तुलसीदल, प्रसाद के लिए गेहूं के आटे की पंजीरी, फल, धूप, मिठाई, नारियल, मधु, गंगा जल, सूखे मेवे, गुड़ और पान के पत्ते ब्राह्मणों को दक्षिणा देने के लिए रुपये रख लें.
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