
New Delhi: सीबीआई ने 3,250 करोड़ रुपए के आईसीआईसीआई बैंक- वीडियोकॉन ऋण मामले में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया है. इसमें आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोटर के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है. साथ ही मुंबई में समूह के मुख्यालय और औरंगाबाद में कार्यालयों में छापेमारी की.
कई जगहों पर छापेमारी
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि छापे मारने का काम गुरुवार सुबह शुरू किया गया. इस दौरान आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर द्वारा संचालित कंपनी न्यूपावर और सुप्रीम एनर्जी पर भी छापे मारे गए. एफआईआर दर्ज करने के साथ सीबीआई की टीम ने कुल चार जगह छापेमारी की है.

उन्होंने बताया कि ऐसा आरोप है कि 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपए का ऋण मिलने के कुछ महीनों बाद वीडियोकॉन प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने न्यूपावर में करोड़ों रुपए निवेश किए.


अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने धूत, दीपक कोचर और अज्ञात अन्य के खिलाफ पिछले साल मार्च में एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी.
ज्ञात हो कि सीबीआई प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पीई दर्ज करती है, ताकि वह सबूत एकत्र कर सके. एजेंसी ने इस पीई को प्राथमिकी में बदल दिया है.
वीडियोकॉन कर्ज मामले में सीबीआई की एफआईआर में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर का नाम आरोपी के तौर में शामिल.
क्या है मामला
बता दें कि ICICI बैंक और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने प्रधानमंत्री, रिजर्व बैंक और सेबी को पत्र लिखकर वीडियोकॉन के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत और ICICI की पूर्व सीईओ व एमडी चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था. गुप्ता ने दावा किया था कि धूत की कंपनी वीडियोकॉन को आईसीआईसीआई बैंक से 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया और इसके एवज में धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की वैकल्पिक ऊर्जा कंपनी ‘नूपावर’ में निवेश किया. इस तरह चंदा कोचर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने पति की कंपनी के लिए वेणुगोपाल धूत को लाभ पहुंचाया. पिछले साल इसका खुलासा होने के बाद चंदा कोचर को बैंक से इस्तीफा देना पड़ा था.
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